Supreme Court On Mineral Tax: सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में खनिजों पर देय रॉयल्टी को कर नहीं माना है और स्पष्ट किया है कि राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार है। नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया, जिससे झारखंड और ओडिशा जैसे खनिज समृद्ध राज्यों को बड़ी राहत मिलेगी। इन राज्यों ने केंद्र सरकार द्वारा खदानों और खनिजों पर लगाए गए हजारों करोड़ रुपये के करों की वसूली के मामले में सुप्रीम कोर्ट से निर्णय की मांग की थी।
Read more: सरकार के दावों की फिर खुली पोल, सुभारती यूनिवर्सिटी मेरठ में CSIR नेट की परीक्षा में धांधली
मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में बहुमत का फैसला
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने माना कि राज्यों को खनिज अधिकारों पर कर लगाने का अधिकार है और खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर एक्ट) राज्यों की इस शक्ति को सीमित नहीं करता। बहुमत में जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस. ओका, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे। हालांकि, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने असहमति जताई।
Read more: Akhilesh Yadav के Wi-Fi पासवर्ड तंज पर केशव मौर्य का जवाब: “कमल खिला है, खिलता रहेगा”
रॉयल्टी और टैक्स का फर्क
सीजेआई के लिखे बहुमत वाले निर्णय में कहा गया है कि रॉयल्टी, टैक्स की प्रकृति में नहीं है, क्योंकि यह खनन पट्टे के तहत पट्टेदार की ओर से पट्टाकर्ता को भुगतान किया जाने वाला एक संविदात्मक प्रतिफल है। रॉयल्टी और डेड रेंट दोनों ही कर की विशेषताओं को पूरा नहीं करते हैं। संविधान पीठ ने 1989 में सात जजों की संविधान पीठ के उस फैसले को भी खारिज कर दिया जिसमें रॉयल्टी को कर माना गया था।
भारत सीमेंट्स मामले में फैसला खारिज
संविधान पीठ ने भारत सीमेंट्स मामले में रॉयल्टी को कर मानने वाले निर्णय को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार को किया गया भुगतान केवल इसलिए टैक्स नहीं माना जा सकता कि कानून में बकाया राशि की वसूली का प्रावधान है। बहुमत वाले फैसले में कहा गया है कि संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 50 के अंतर्गत संसद को खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है।
Read more: कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों के Nameplate लगाने के आदेश पर SC की रोक जारी, खारिज की UP सरकार की दलील
असहमति का दृष्टिकोण
इस पीठ में जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बहुमत के फैसले से असहमति जताई। उन्होंने कहा कि एमएमडीआर एक्ट के तहत रॉयल्टी भुगतान की प्रकृति अद्वितीय है। इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो एमएमडीआर अधिनियम के तहत रॉयल्टी भुगतान एक प्रकार का टैक्स है। रॉयल्टी की वसूली प्रकृति में वैधानिक है।
Read more: Sanjay Singh ने संसद में Budget को लेकर सरकार पर बोला हमला, कहा-‘जेल का बजट तो बढ़ा देते’
राज्यों के अधिकारों की पुष्टि
बहुमत वाले फैसले में कहा गया कि प्रविष्टि 49 के अंतर्गत, राज्यों को अधिकार है जबकि प्रविष्टि 50 राज्यों को भूमि और भवनों पर कर लगाने का अधिकार देती है। हालांकि, यह खनिज विकास से संबंधित संसद द्वारा कानून के तहत लगाई गई किसी भी सीमा के अधीन है।
Read more: Lucknow: समाजवादी पार्टी ने संविधान-मानस्तंभ की स्थापना के साथ मनाया आरक्षण दिवस
राजनीतिक दृष्टिकोण
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राज्यों के अधिकारों की पुष्टि के साथ-साथ केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। झारखंड और ओडिशा जैसे खनिज समृद्ध राज्यों के लिए यह फैसला वित्तीय राहत का बड़ा माध्यम बनेगा। यह ऐतिहासिक फैसला न केवल खनिज समृद्ध राज्यों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि राज्यों के अधिकारों को मजबूत करने और उनकी वित्तीय स्वायत्तता को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण है। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि खनिज रॉयल्टी को कर नहीं माना जा सकता और राज्यों के पास अपने खनिज संसाधनों पर कर लगाने का पूर्ण अधिकार है।
यह निर्णय केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों की दिशा को भी साफ करता है और भविष्य में खनिज संसाधनों के प्रबंधन में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को सुनिश्चित करने के इस फैसले के बाद, राज्यों को अपने खनिज संसाधनों का अधिकतम लाभ उठाने का अवसर मिलेगा।
Read more: Lucknow Bulldozer Action: अकबरनगर के बाद चौक फूल मंडी पर गिरी गाज, जमींदोज हुआ अवैध अतिक्रमण