SC-ST Quota: अनुसूचित जातियों (ST) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश को संविधान का हवाला देते हुए मोदी सरकार ने लागू करने से इंकार कर दिया है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। मोदी सरकार का यह निर्णय एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मोड़ पर आया है। सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशें समाज के उन तबकों को ध्यान में रखते हुए की गई थीं, जो अब तक आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाए थे। लेकिन, सरकार का संविधान का हवाला देकर इन सिफारिशों को ठुकराना दर्शाता है कि एनडीए सरकार ने संविधान के प्रावधानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्राथमिकता दी है।
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क्रीमी लेयर का मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक बेंच ने 1 अगस्त को एससी/एसटी आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा था कि राज्यों के पास एससी/एसटी कोटे के अंदर कोटा बनाने का अधिकार है, ताकि इस आरक्षण से वंचित तबके को भी इसका लाभ मिल सके। बेंच में शामिल जस्टिस बीआर गवई ने अपने आदेश में कहा था कि राज्यों को एससी और एसटी के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति बनानी चाहिए और उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।
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राजनीतिक मजबूरियां और सहयोगी दलों की प्रतिक्रिया
अश्विनी वैष्णव ने भले ही एससी/एसटी आरक्षण पर आंबेडकर के संविधान का हवाला दिया हो, लेकिन सियासी जानकार इस विरोध के पीछे राजनीतिक मजबूरी को भी एक बड़ी वजह मान रहे हैं। एनडीए की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी ने साफ कहा है कि आरक्षण के मूलभूत प्रावधानों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए ऐलान किया कि उनकी पार्टी इसके खिलाफ अपील करेगी।
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कैबिनेट की विस्तृत चर्चा
बैठक के बाद केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि डॉक्टर भीम राव आंबेडकर के दिए संविधान में ‘क्रीमी लेयर’ के लिए कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एनडीए सरकार संविधान के प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध है और सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशों को लागू नहीं करेगी। कैबिनेट मीटिंग खत्म होने के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मंत्रिमंडल की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया फैसले पर विस्तार से चर्चा हुई, जिसमें एससी और एसटी के लिए आरक्षण को लेकर कुछ सुझाव दिए गए थे। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोर्ट के फैसले को लागू करने से मना कर दिया है। वैष्णव ने कहा, ‘‘बी आर आंबेडकर के दिए संविधान के अनुसार, एससी-एसटी आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ के लिए कोई प्रावधान नहीं है।”
राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो, सरकार के इस कदम के पीछे कई तरह की मजबूरियां और रणनीतियां हो सकती हैं। सहयोगी दलों की प्रतिक्रिया और विरोध को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने यह निर्णय लिया है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव क्या रहता है और आने वाले समय में इस पर क्या प्रतिक्रियाएं आती हैं।