Gyanvapi Case: यूपी के वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला ,कोर्ट ने हिंदू पक्ष के हक में एक बड़ा और अहम फैसला सुनाया है. जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दे दिया है. अदालत के इस फैसला के बाद से मुस्लिम पक्ष नाखुश है. ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी की ओर से वकीलों की एक टीम ने गुरुवार सुबह तीन बजे सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार से संपर्क किया। रजिस्ट्रार से करीब एक घंटे तक बातचीत के बाद उन्होंने सुबह चार बजे CJI जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के सामने दस्तावेज पेश किए। CJI ने कागजात देखने के बाद मुस्लिम पक्ष से इस मामले मे किसी भी तरह की राहत के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष मामले का उल्लेख करने को कहा।
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मुस्लिम पक्ष ने आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया
दरअसल, मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से वाराणसी कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया, जिसमें ज्ञानवापी के कथित मस्जिद के एक तहखाने में पूजा करने का आदेश दिया है। सुबह-सुबह सुप्रीम कोर्ट के सामने दाखिल की गई अर्जी में मुस्लिम पक्ष का यह कहना था कि पूजा के आदेश देने वाले वाराणसी जिला अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी जिससे मुस्लिम पक्ष कानूनी उपाय तलाश सके।
कोर्ट के फैसले पर क्या बोले ओवैसी?
ओवैसी ने कोर्ट के इस फैसले को गलत बताया है. बता दें कि कोर्ट ने अपने आदेश में केवल 7 दिनों के अदंर ग्रिल खोलने का आदेश दिया है. ओवैसी ने कहा, ‘अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाना चाहिए था. ये गलत फैसला है. जब तक मोदी सरकार यह नहीं कहती कि वे पूजा स्थल अधिनियम के साथ खड़े हैं, तब तक यह चलता रहेगा. बाबरी मस्जिद स्वामित्व मुकदमे के फैसले के दौरान, मैंने यह आशंका व्यक्त की थी. पूजा स्थल अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मूल संरचना का हिस्सा बनाया गया था, फिर निचली अदालतें आदेश का पालन क्यों नहीं कर रही हैं?’ उन्होंने आगे कहा कि इंतेजामिया मस्जिद कमेटी इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील करेगी.
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