CAA: देश में सीएए के लागू होने की अधिसूचना के बाद से ही तमाम तरह की अटकलों पर विराम लग गया है.केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से देश में सीएए को लागू कर दिया गया है.वहीं सीएए के खिलाफ दायर याचिका को लेकर सुप्रीमकोर्ट अब सुनवाई के लिए तैयार हो गया है.इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सीएए कानून पर रोक की मांग को लेकर एक याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है.सुप्रीम कोर्ट 19 मार्च को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की याचिका पर सुनवाई करेगा।
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इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने दायर की याचिका
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का कहना है कि,सीएए कानून असंवैधानिक और मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है.आईयूएमएल का दावा है कि,सीएए कानून के प्रावधान मनमाने हैं और सिर्फ धार्मिक पहचान के आधार पर एक वर्ग को अनुचित लाभ देते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है.आईयूएमएल ने दायर याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि,अगर कानून के मुताबिक किसी को नागरिकता दे दी गई तो फिर इसे वापस नहीं लिया जा सकेगा।
मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी दी जाए नागरिकता-IUML
मुस्लिम लीग की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से ये भी आग्रह किया गया है कि,मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी नागरिकता के लिए आवेदन करने की अस्थाई अनुमति दी जाए और उनकी पात्रता पर रिपोर्ट पेश की जाए.सीएए लागू होने से इसके तहत मुसलमान भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं।सीएए का विरोध करने वाले आलोचकों ने कोर्ट में ये भी तर्क दिया कि,मुसलमानों को इसके दायरे से बाहर करके और नागरिकता को धार्मिक पहचान से जोड़कर,कानून भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को कमजोर करता है.हालांकि केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने बताया है कि,सीएए नागरिकता देने के बारे में है और देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी।
11 मार्च को गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना
आपको बता दें कि,सीएए 11 दिसंबर 2019 को संसद की ओर से पारित किया गया था और इसके अगले दिन ही इसको राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई.सीएए कानून उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने का काम करता है, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भागे और उन्होंने 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में शरण ली थी.केंद्र की मोदी सरकार ने 11 मार्च को सीएए को लागू करने की अधिसूचना जारी की थी।