Sawan 2024: भगवान भोलेनाथ के प्रिय माह सावन (Sawan) की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है। इस दौरान भक्तजन भोलेनाथ की भक्तिभाव से आराधना करेंगे। श्री काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) में सावन के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। इस भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने कई नई व्यवस्थाओं की तैयारी की है।
सावन के दौरान भक्तों की सुविधा के लिए श्री काशी विश्वनाथ धाम मंदिर प्रशासन ने ऑनलाइन दर्शन-पूजन और रुद्राभिषेक की व्यवस्था की है। इसके अलावा, झांकी दर्शन की भी व्यवस्था की जाएगी। सावन सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि की तिथियों पर अधिक भीड़ होने की संभावना के चलते स्पर्श दर्शन पर रोक रहेगी।
भक्तों के लिए विशेष इंतजाम
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में सावन में आने वाले शिवभक्तों के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। प्रसाद, फूल, माला और दूध का इंतजाम मंदिर परिसर में ही होगा, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होगी। भक्तगण चाम के अंदर ही जल, फूल, माला, दूध और प्रसाद खरीद सकेंगे। साथ ही, वीआईपी दर्शन के लिए भी अलग से इंतजाम किए जा रहे हैं।
विशेष जलाभिषेक की व्यवस्था
सावन के पहले सोमवार को 18 प्रदेशों से आने वाले 50 हजार यादव बंधुओं के जलाभिषेक के लिए भी अलग से व्यवस्था बनाई जा रही है। सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त को समाप्त होगा। इस साल सावन में पांच सोमवार पड़ रहे हैं, जो बेहद शुभ माने जाते हैं।
शिवमहापुराण कथा का अनवरत पाठ
इस बार सावन की शुरुआत ही सोमवार से हो रही है। साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, प्रीति योग और आयुष्मान योग भी बन रहे हैं, जिससे इस साल सावन का महत्व और बढ़ गया है। सावन के सोमवार इस प्रकार हैं: पहला सोमवार 22 जुलाई, दूसरा 29 जुलाई, तीसरा 5 अगस्त, चौथा 12 अगस्त और पांचवां सोमवार 19 अगस्त को पड़ेगा। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि सावन माह में शिवमहापुराण की कथा का अनवरत पाठ होगा। बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद श्रद्धालु भगवान शिव की कथा भी सुन सकेंगे।
काशी विश्वनाथ मंदिर की मान्यता
काशी विश्वनाथ मंदिर की मान्यता है कि यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। कहते हैं कि यहां दर्शन मात्र से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि सावन माह में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है, जो बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं।