Input- RICHA
मुंबई: बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की जोड़ी ने ‘भुल भुलैया 2’ के जरिए बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया था. यही जोड़ी अब एक बार फिर से फिल्म ‘सत्यप्रेम की कथा’ में दर्शकों के बीच उतर रही है.
कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की फिल्म ‘सत्यप्रेम की कथा’ को लेकर दर्शको में बहुत क्रेज है. फैमली एंटरटेनर होने के साथ-साथ डायरेक्टर निर्देशक समीर विदवांस की इस फिल्म में शादी, रोमांस, इमोशन सब एक साथ देखने को मिलेंगे. भावनाएं आहत न हो, इसीलिए फिल्म का नाम बदलकर ‘सत्य नारायण की कथा’ से ‘सत्यरप्रेम की कथा’ कर दिया गया था. वहीं अगर हम इस फिल्म की कहानी की बात करे तो ये गुजराती परिवार में रहने वाले सत्यप्रेम अग्रवाल और कथा कपाड़िया की कहानी है.
सत्यप्रेम को अहमदाबाद के बड़े बिजनेसमैन की बेटी कथा यानी की कियारा आडवाणी से पहली ही नजर में प्या र हो जाता है. लेकिन सत्यमप्रेम अपनी फीलिंग्स को कथा के सामने कभी जाहिर नहीं कर पाता है. फिल्म में एक्टर कार्तिक आर्यन सत्यप्रेम के किरादार में नजर आ रहे है. सत्यहप्रेम अपनी फीलिंग्स को इसीलिए छिपाता है क्योंकि कथा का पहले से ही बॉयफ्रेंड है. 1 साल बाद सत्तू को पता चलता है कि कथा का ब्रेकअप हो गया है. तो वो फिर से उसके पास पहुंचता है और कोशिश करता है. कथा और सत्तू की शादी हो जाती है, लेकिन ये शादी वैसी नहीं है, जैसी आम शादियां होती हैं.
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जानें फिल्म की स्टोरी
सत्यप्रेम उर्फ सत्तू के पास नॉकरी नहीं है. दरअसल वो एलएलबी फाइनल ईयर में फेल हो जाता है. जिसके बाद वो घर पर ही अपने पापा, मम्मी और बहन के साथ रहता है. अपने सारे दोस्तों की शादी हो जाने के चलते सत्तू मोहल्ले का इकलौता कुंवारा लड़का है. जो रोजाना अपनी शादी के सपने देखता है. दूसरी तरफ अगर हम सत्यप्रेम के पिता गजराज की बात करे तो वो भी कोई काम नहीं करते है.
वैसे सत्यप्रेम और कथा की मुलाकात करीब एक साल पहले गरबा नाइट में हुई थी. जिसके बाद सत्तू ने तुरंत कथा को प्रपोज भी कर दिया था. इस कहानी में असली ट्विस्ट तो तब आता है जब वहां कुछ ऐसी घटना घटती है कि कथा के पिता उसकी शादी सत्तू के साथ कर देते हैं. कथा इसके लिए राजी नहीं थी, लेकिन पिता के दबाव में उसे ऐसा करना पड़ता है. वहीं कियारा आडवाणी ने कथा के किरदार को बखूबी पर्दे पर उतारा है. एक्ट्रेस इस फिल्म में हमेशा की तरह बेहद अलग और खूबसूरत लग रही हैं.
डायरेक्टर समीर विद्वांस ने एक बेहतरीन कहानी बनाई है. फिल्म के डायलॉग्स में गुजराती भाषा का भी इस्तेमाल किया गया है. जो दर्शको को समझने में थोड़ी सी दिक्कत हो सकती है. इस फिल्म का पहले हाफ काफी मनोरंजक है. मगर सेकंड हाफ काफी धीरे क्लाइमैक्स तक पहुंचती है. हालांकि, फिल्म का क्लाइमैक्स एक सीख देता है. महिला सशक्तिकरण के जोरदार मेसेज के साथ इसमें बताया गया है कि महिला के ना का मतलब ना होता है.