Sambhal violence: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद (Sambhal Jama Masjid) और हरिहर मंदिर के बीच चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण आदेश दिए। मस्जिद पक्ष द्वारा निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने मामले में हस्तक्षेप किया और प्रशासन को शांति बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस विवाद से जुड़े सर्वेक्षण पर फिलहाल कोई नया आदेश पारित नहीं किया जाए और न ही सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।
मस्जिद पक्ष का आरोप
मस्जिद समिति के प्रतिनिधियों ने अदालत में दलील दी कि 19 नवंबर को सर्वे का आदेश दिया गया, जिस दिन उन्होंने याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि सर्वेक्षण उसी दिन शाम को किया गया और उसी दिन उन्हें इसकी सूचना दी गई। मस्जिद पक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि 23 नवंबर को जब वे कानूनी सलाह लेने की तैयारी कर रहे थे, तब अचानक यह जानकारी मिली कि अगले दिन ही सर्वेक्षण की योजना बनाई गई है। 24 नवंबर को सुबह 6:15 बजे सर्वे टीम मस्जिद पहुंची और सुबह की नमाज के लिए इकट्ठे हुए नमाजियों को बाहर जाने के लिए कह दिया। इस पर मस्जिद पक्ष ने सवाल उठाया और कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि संभल जिले में शांति और सद्भाव बना रहे। इसके साथ ही कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन से कहा कि दोनों समुदायों के सदस्यों को शामिल करके शांति समिति का गठन किया जाए। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने सख्त टिप्पणी की कि इस मामले में निचली अदालत कोई आदेश न दे जब तक मस्जिद समिति की याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई न हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने का भी आदेश दिया और कहा कि इसे इस बीच खोला न जाए। इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत को निर्देशित किया कि वह जामा मस्जिद के सर्वेक्षण से संबंधित मामले में कोई भी आदेश पारित न करे, जब तक उच्च न्यायालय में मस्जिद समिति की याचिका पर निर्णय नहीं हो जाता।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रशासन को दिए सख्त निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को यह आदेश दिया कि वह संभल जिले में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए तुरंत प्रभाव से कदम उठाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस संवेदनशील मामले में किसी भी प्रकार की हिंसा या दंगे की स्थिति नहीं उत्पन्न होनी चाहिए। कोर्ट ने प्रशासन से यह भी कहा कि वह दोनों समुदायों के बीच संवाद और समन्वय को बढ़ावा दे, ताकि मामले को शांतिपूर्वक सुलझाया जा सके।
कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट में हो रही देरी
संबंधित मामले में कोर्ट कमिश्नर रमेश राघव ने अदालत को सूचित किया कि सर्वे की रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है, क्योंकि कुछ हिंसक घटनाओं के कारण सर्वे टीम को काम करने में कठिनाई हुई। रिपोर्ट की तैयारी में और समय लगाने के लिए उन्होंने 10 दिनों का वक्त मांगा। इस पर अदालत ने 8 जनवरी 2025 को अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की है, जब कोर्ट कमिश्नर को सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
8 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत को आदेश दिया कि जब तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक कोई भी आदेश पारित न किया जाए। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए किसी भी प्रकार की जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी है।