UP News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों के बाहर दुकानदार का नाम लिखे जाने के आदेश के बाद विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय लोक दल (RLD) प्रमुख और केंद्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। जयन्त चौधरी ने कहा कि कावड़ यात्रा में लाखों श्रद्धालु गंगाजल लेकर आते हैं, सेवा करने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। श्रद्धालु सेवा करने से पहले यह नहीं पूछते कि उनका जाति धर्म क्या है।
जयंत चौधरी की प्रतिक्रिया
जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने कहा कि कांवड़ यात्रा में सेवा करने वालों की कोई धर्म या जाति की पहचान नहीं होती। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस मामले को धर्म और जाति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। जयंत चौधरी ने कहा, “धर्म या जाति की पहचान करके कोई सेवा नहीं लेता। सब अपनी दुकानों पर नाम लिख रहे हैं, लेकिन मैकडॉनल्ड और बर्गर किंग क्या लिखेंगे?” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने यह फैसला बिना सोच-समझ के लिया है और अब इस पर टिके हुए हैं। तो क्या अब कुर्ते पर भी नाम लिखवाया जाएगा। क्या नाम पूछ कर और धर्म पूछ कर हाथ मिलाया जाएगा, यह ठीक नहीं है।
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विरोधियों का रुख
भाजपा (BJP) के चार सहयोगी दलों ने इस फैसले का विरोध किया है। इनमें जेडीयू, एलजेपी पासवान, आरएलडी और एनसीपी शामिल हैं। जयंत चौधरी के अनुसार, सरकार का यह कदम गैर-जरूरी और विभाजनकारी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कांवड़ यात्रा में सेवा करने वालों की नीयत महत्वपूर्ण होती है, न कि उनकी पहचान।
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सरकारी आदेश और उसका असर
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों और ठेलों के लिए एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, सभी दुकानों और ठेलों पर अपना नाम और मालिक की पहचान लिखनी होगी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह स्पष्ट किया है कि इससे कांवड़ यात्रियों को यह पता चल सकेगा कि वे किस दुकान से सामान खरीद रहे हैं।
इस बार कांवड़ यात्रा मार्ग पर यूपी और उत्तराखंड सरकार के आदेश का व्यापक असर देखा जा रहा है। रास्तों में जगह-जगह पर दुकानों पर दुकानदारों के नेमप्लेट लगे हुए हैं। हालांकि, इस नेमप्लेट को लेकर हिंदू-मुसलमान वाली राजनीति तेज हो गई है। विरोधी दल सरकार के इस कदम पर सवाल उठा रहे हैं और इसे धार्मिक और सांप्रदायिक विभाजन का प्रयास मान रहे हैं।
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मध्य प्रदेश और झारखंड में भी मांग
हालांकि, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लागू किए गए इस आदेश की मांग अब मध्य प्रदेश और झारखंड में भी होने लगी है। इन राज्यों के कुछ हिस्सों में लोग इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं और इसे अपनाने की मांग कर रहे हैं।
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