RSS on Kolkata Case: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने जातीय जनगणना को लेकर सोमवार यानी 2 अगस्त को एक अहम बयान जारी किया है। आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि जातीय जनगणना को केवल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं करवाया जाना चाहिए। उन्होंने इस विषय को हिंदू धर्म में संवेदनशील बताते हुए कहा कि इसे चुनावी उद्देश्यों से ऊपर उठकर विचार किया जाना चाहिए। आंबेकर ने सुझाव दिया कि यदि जातीय जनगणना किसी की प्रगति के लिए आवश्यक हो, तो इसे किया जाना चाहिए, लेकिन इसका उपयोग केवल चुनावी लाभ के लिए नहीं होना चाहिए।
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महिला डॉक्टर के खिलाफ हुई हिंसा की करी निंदा
आरएसएस ने पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर के खिलाफ हुए रेप और हत्या की घटना की भी निंदा की है। इसे ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए आरएसएस ने कहा कि अत्याचारों से पीड़ित महिलाओं को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए कानूनों और दंडात्मक कार्रवाइयों की समीक्षा की आवश्यकता है। आरएसएस की समन्वय बैठक में इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और कानून सुधार की मांग की गई।
जातीय जनगणना को लेकर आरएसएस का रुख
पलक्कड़ जिले में आयोजित तीन दिवसीय समन्वय बैठक के पहले दिन, आरएसएस ने जातीय जनगणना को एक संवेदनशील विषय बताया। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना से समाज की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है। आरएसएस ने स्पष्ट किया कि जातीय जनगणना का उपयोग चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए और विशेष रूप से दलित समाज की संख्या जानने के लिए जनगणना की जा सकती है।
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कांग्रेस का तीखा प्रतिरोध
आरएसएस के बयान के जवाब में कांग्रेस पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आरएसएस ने जातीय जनगणना का खुलकर विरोध किया है और इसके माध्यम से दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी की है। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा, “आरएसएस का बयान यह साफ करता है कि बीजेपी और आरएसएस जातीय जनगणना नहीं कराना चाहते। लेकिन हम स्पष्ट कर दें कि जातीय जनगणना होगी और कांग्रेस इसे कराएगी।”
कांग्रेस का जातीय जनगणना पर जोर
कांग्रेस पार्टी देशभर में जातीय जनगणना की मांग कर रही है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण सीमा को पार करने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना के बिना भारत की वास्तविकता के लिए नीतियां नहीं बनाई जा सकतीं। राहुल गांधी ने डेटा की आवश्यकता की बात करते हुए कहा, “हमें यह जानना आवश्यक है कि कितने दलित, ओबीसी, आदिवासी, महिलाएं, अल्पसंख्यक और सामान्य जाति के लोग हैं।”
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सुप्रीम कोर्ट में मामला
जातीय जनगणना का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है और इस पर सुनवाई बाकी है। इस मुद्दे पर राजनीति और समाज में गहरा विवाद चल रहा है, और इससे जुड़े कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं। जातीय जनगणना पर जारी यह राजनीतिक विवाद आगे किस दिशा में बढ़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। आरएसएस और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर जारी बहस ने इस विषय को और भी जटिल बना दिया है, और इसके संभावित प्रभाव देश की राजनीति और समाज पर पड़ सकते हैं।
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