Mohan Bhagwat: आज पूरे देश में दशहरा (Dussehra) का त्योहार बहुत ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. हर साल शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के समापन पर आश्विन माह की दशमी तिथि को विजयादशमी के रूप में यह पर्व मनाया जाता है. दशहरा (Dussehra) अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक माना जाता है, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में विशेष स्थान रखता है.
इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने नागपुर के रेशम बाग मैदान में शस्त्र पूजन (Shastra Puja) किया. इस वार्षिक कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित होते हैं, और इस साल भी कार्यक्रम में खास मेहमानों का जमावड़ा लगा रहा, पद्म भूषण और पूर्व इसरो प्रमुख के. राधाकृष्णन इस आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे.
इन लोगों की रही उपस्थिति
कार्यक्रम के दौरान नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में संघ के सदस्य विजयादशमी मनाने के लिए एकत्रित हुए और संघ प्रार्थना की. इस मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पूर्व इसरो प्रमुख के. सिवन भी शामिल हुए. यह आयोजन संघ के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह दिन शक्ति, साहस और अनुशासन का प्रतीक है.
बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार पर जताई चिंता
अपने संबोधन के दौरान मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में स्थानीय हिंसक घटनाओं के चलते हिंदू समाज पर अत्याचार किए जा रहे हैं. इस बार हिंदू समुदाय संगठित होकर खुद के बचाव में आया, जिससे कुछ हद तक राहत मिली, लेकिन वहां के कट्टरपंथी विचारधारा के चलते अल्पसंख्यक हिंदुओं पर खतरा अभी भी बना हुआ है.
मोहन भागवत ने अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि भारत में हो रही इस अवैध घुसपैठ से देश में जनसंख्या का असंतुलन हो रहा है, जो न केवल आपसी सद्भाव बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा है. उन्होंने विश्वभर के हिंदुओं और विशेषकर भारत सरकार से बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं की सहायता की अपील की.
हिंदू समाज को असंगठित रहने के खतरों से आगाह किया
मोहन भागवत (Mohan Bhagwat)ने अपने संबोधन में हिंदू समाज को असंगठित रहने के खतरों से आगाह किया. उन्होंने कहा कि दुर्बल और असंगठित रहना अत्याचारों को निमंत्रण देना है, बांग्लादेश और पाकिस्तान की स्थिति को लेकर भारत पर दबाव बनाने वाली शक्तियों के इरादों को समझने की आवश्यकता है. भागवत ने इस पर भारत सरकार से गहन विचार करने का आग्रह किया.
स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान का उल्लेख किया
इसी कड़ी में आगे मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने अपने संबोधन में स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि भारत के पुनरुत्थान के पीछे स्वामी दयानंद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने भारतीय धर्म और संस्कृति को समझते हुए जन जागरूकता का महत्वपूर्ण कार्य किया. मोहन भागवत ने कहा कि देश में धर्म और संस्कृति का उत्थान होना चाहिए, और इसके लिए युवाओं को धर्म का सही अर्थ समझना जरूरी है. उन्होंने भारत की तेजी से बढ़ती साख का उल्लेख करते हुए कहा कि युवा शक्ति ही देश को आगे लेकर जाएगी. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कुछ शक्तियां देश को पीछे धकेलने की कोशिश कर रही हैं, और हमें इनसे सतर्क रहना होगा.