लखनऊ संवाददाता- विवेक शाही
लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश मीडिया प्रभारी सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा यू0पी0 बोर्ड के पाठ्यक्रम में विनायक दामोदर सावरकर की जीवनी को 50 अन्य महापुरुषों के जीवन परिचय के बहाने से जोड़ना सरकार की ओछी मानसिकता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
अन्य महापुरुषों में जो भी नाम गिनाये जा रहे हैं उन सभी के जीवन परिचय किसी न किसी विषय के माध्यम से पाठ्यक्रम में जुड़े हुए हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, राजाराम मोहन राय, विनोवा भावे, स्वामी विवेकानंद, गोपाल कृष्ण गोखले आदि सैकड़ों विद्वान महापुरुष एवं स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक के रूप में हिन्दी, अग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, इतिहास तथा नागरिक शास्त्र आदि विषयों के माध्यम से कक्षा 9 से 12 तक पढ़ाये जाते रहें हैं।
देश और समाज की अच्छाई के लिए विभिन्न क्षेत्रों में दी कुर्बानियां
त्रिवेदी ने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति के अनुसार प्रदेश के नौनिहालों को नई दिशा देने के उद्देश्य से ऐसे महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों तथा समाज सुधारकों का जीवन परिचय पाठ्यक्रम में जोड़ा जाता जिन्होंने देश और समाज की अच्छाई के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कुर्बानियां दी हैं।
कृषि प्रधान देश में यदि छोटी कक्षाओं से लेकर इंटरमीडिएट, स्नातक और परास्नातक तक किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह, मिसाइल मैन ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम जैसे महापुरूषों का व्यक्तित्व एवं कृतित्व विस्तार से जोड़ा जाता तथा शोध का विषय भी बनाया जाता तो भावी नागरिकों को एक नई दिशा मिलती।
रालोद के प्रदेश मीडिया प्रभारी ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह सातवां शिक्षा सत्र चल रहा है लेकिन अब तक किसी भी शिक्षा सत्र में वर्तमान प्रदेश सरकार ने समय से पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध नहीं कराई हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि प्रदेश की शिक्षा के प्रति भारतीय जनता पार्टी कितना सकारात्मक सोचती है।
यू0पी0 बोर्ड के प्रति पाठ्यक्रम की काट छांट लगातार करते रहने से ही प्रदेश में आई0सी0एस0ई0 और सी0बी0एस0ई0 बोर्डो के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। आज से 2 दशक पहले तक यू0पी0 बोर्ड की गणना एशिया के प्रथम स्तर के बोर्डो में होती थी जिसको चाटुकार अधिकारियों, और अक्षम नेताओं के कारण आज तीसरे नंबर का बोर्ड बना दिया गया है जो निंदनीय है।