सुल्तानपुर संवाददाता- Ashutosh Srivastava
सुल्तानपुर: शहर के ऐतिहासिक दुर्गा पूजा महोत्सव के दौरान सजे भव्य पंडालो में माता रानी के विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमाएं स्थापित हो जाती है। शनिवार को सप्तमी के दिन मूर्तियों के नेत्रपट खोल दिए गए है। फिर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना का कार्यक्रम शुरू हो जाता है। ऐतिहासिक दुर्गापूजा दसवीं के दिन ही रावण दहन के बाद से आरंभ होता है। बताया जाता है, कि देश में कोलकाता के बाद जिले का दूसरा स्थान है। सुल्तानपुर में जिसे देखने के लिए अन्य जिले और प्रदेशों से भी मां के भक्त यहां आते हैं।
सुल्तानपुर की ऐतिहासिक दुर्गापूजा…
दरअसल आपको बता दे कि सुल्तानपुर की ऐतिहासिक दुर्गापूजा सोमवार को रावण दहन के बाद से आरंभ होगी। देश में कोलकाता के बाद जिले का दूसरा स्थान है। जिसे देखने के लिए अन्य जिले और प्रदेशों से भी मां के भक्त यहां आते हैं। जब सुल्तानपुर की ऐतिहासिक दुर्गापूजा के बारे में जानकारी हुई तो वे भी यहां दर्शन करने पहुंची हैं। शहर भर में दर्जनोंभर से अधिक पूजा पंडाल जो देश के विभिन्न धाम और मंदिरों के जैसा नमूना बनाकर दिखाया जाता है। लेकिन बार इस शहर के चित्रा स्टूडियो के पास बना अंबे माता का पंडाल इस बार चंद्रयान जैसा बनाया गया है।
माता का स्वागत बहुत ही भव्य तरीके से किया जा रहा…
पल्लवी ने यहां की दुर्गापूजा के बारे में बहुत सुना है। लोग कहते हैं इंडिया में सबसे नंबर वन पर कोलकाता माना जाता है और दूसरे नंबर पर सुल्तानपुर। तो मैं भी यहां की दुर्गापूजा का अनुभव करने के लिए आई हूं। यहां पे जो बहुत प्रसिद्ध प्रसिद्ध मंदिर हैं जैसे केदारनाथ आदि उनका नमूना पेश किया जाता है। माता का स्वागत बहुत ही भव्य तरीके से किया जा रहा है। जैसे कि यहां पर वैष्णो माता पूजा समिति है और भी हैं जिनका पचासा वर्ष इस बार है। वहां पर माता का स्वागत बहुत भव्य तरीके से हुआ है। सभी महिलाएं-पुरुष बाजे गाजे के साथ उत्साह पूर्वक माता को लेने के लिए गए थे। चार-पांच दिन मेला चलेगा जिसमें भव्य भंडारा होता है।