Rape cases:भारत में बलात्कार के मामलों और न्याय की धीमी प्रक्रिया पर चिंता बढ़ती जा रही है। आंकड़ों के अनुसार, बलात्कार और यौन हिंसा के मामलों में वृद्धि हो रही है, और यह एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुकी है। हाल ही में, बलात्कार की घटनाओं और उनके खिलाफ न्याय सुनिश्चित करने की प्रक्रिया पर चर्चा की गई है। 2024 में, बलात्कार के मामलों में मौत की सजा के प्रावधान के बावजूद, इस सजा के अमल में बहुत धीमी गति देखी गई है। पिछले 24 वर्षों में केवल पांच बलात्कारियों को मौत की सजा दी गई है, जो न्याय की प्रक्रियाओं में गहरी खामियों को दर्शाता है।2004 में, धनंजय चटर्जी को 1990 के बलात्कार और हत्या के मामले में फांसी दी गई थी।
इसके अलावा, मार्च 2020 में निर्भया के चार दोषियों – मुकेश, विनय, पवन, और अक्षय को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी, जो कि एक बड़ी न्यायिक कार्यवाही का हिस्सा था।इस संदर्भ में, लगातार बलात्कार की घटनाओं की बढ़ती संख्या और न्याय में देरी की समस्याओं को देखते हुए, कई सामाजिक और कानूनी सुधारों की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
ये है सबसे असुरक्षित राज्य
- राजस्थान में रेप के 5,399 मामले दर्ज किए गए।
- 3,690 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर था।
- तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश 3,029 मामले दर्ज किए गए।
- चौथे स्थान पर महाराष्ट्र 2,904 मामले दर्ज किए गए।
- पाँचवे स्थान पर हरियाणा 1,787 मामले दर्ज किए गए।
- छठे स्थान पर ओडिशा 1,464 मामले दर्ज किए गए।
- सातवें स्थान पर झारखण्ड 1,298 मामले दर्ज किए गए।
- आठवें स्थान पर छत्तीसगढ़ 1,246 मामले दर्ज किए गए।
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आंकड़े डराने वाले
आपको बता दें कि 2012 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 2.44 लाख मामले दर्ज किये गये थे,और 24, 923 मामले दर्ज हुए थे, हर दिन 68 मामले।तो वहीं 2013 में 33 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किये गये। 2016 में ये आंकड़ा 39 हजार के करीब पहुंच गया था। हर दिन औसतन 68 केस।2022 में 31 हजार 516 मामले दर्ज किए गए।इस हिसाब से हर दिन औसतन 86 मामले दर्ज किए गए। 2022 में 4.45 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए।
यानी हर दिन 1200 से ज्यादा केस।अगर राज्यों की बात की जाए तो रेप के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में सामने आते हैं।2022 में राजस्थान में रेप के 5,399 मामले दर्ज किए गए थे। दूसरे नंबर पर 3,690 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर था।
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