Rajasthan Politics: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हालिया बयान ने बीजेपी के अंदर और बाहर हलचल मचा दी है। वसुंधरा राजे के बयान के बाद राज्य सरकार के जलदाय विभाग के अधिकारियों को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आनन-फानन में तलब किया और सूबे में पानी के इंतजाम पर फटकार लगाई। वसुंधरा राजे ने राजस्थान के झालावाड़ जिले में पानी के संकट का मुद्दा उठाया, जिसके बाद सियासत गर्मा गई। विपक्ष ने यह सवाल उठाया कि अगर वसुंधरा राजे सचमुच पानी की समस्या को लेकर गंभीर हैं तो उन्हें पूरे राज्य में इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए, न कि सिर्फ झालावाड़ तक सीमित रहना चाहिए।
वसुंधरा राजे ने ग्रामीण इलाकों में लोगों की सुनी समस्याएं
वसुंधरा राजे ने अचानक झालावाड़ में अपनी विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया, जहां गर्मी की बढ़ती लहर में लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे थे। इस दौरान वसुंधरा राजे ने स्थानीय लोगों से उनकी समस्याएं सुनीं और पानी संकट की गंभीरता पर अफसरों को फटकार लगाई। उन्होंने कहा, “अफसर सो रहे हैं, जनता रो रही है, और मैं इसे नहीं होने दूंगी।” वसुंधरा राजे की यह नाराजगी उस समय आई जब राजस्थान में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की कार्यकारिणी का निर्णय होना था और मंत्रिमंडल में बदलाव की चर्चाएं तेज हो रही थी। इसके साथ ही दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का फैसला होने वाला था।
वसुंधरा राजे का बयान
वसुंधरा राजे का यह बयान भजनलाल सरकार पर बिना नाम लिए हमला माना जा रहा है। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि वसुंधरा राजे ने पानी के संकट को उठाकर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया और अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी। बीजेपी की तरफ से सफाई दी गई, जहां प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि राजे अपने क्षेत्र की चिंता कर रही हैं और यह उनका अधिकार है कि वे अधिकारियों को फटकार लगाएं। पार्टी ने इस मुद्दे को अपनी आंतरिक गुटबाजी से जोड़ने से इनकार किया।
विपक्ष ने BJP में गुटबाजी पर साधा निशाना
वसुंधरा राजे के बयान के बाद विपक्ष ने बीजेपी में गुटबाजी और सरकार से नाराजगी पर वार करने का मौका पाया। कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजे के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने सही मुद्दा उठाया है, लेकिन यदि वह इस मुद्दे को उठाने में गंभीर हैं, तो उन्हें राज्यभर में पानी की योजना की खामियों को उजागर करना चाहिए था। गहलोत ने यह भी कहा कि यदि राजे दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और सरकार की योजनाओं से संतुष्ट नहीं हैं, तो उन्हें इसे सार्वजनिक रूप से उठाना चाहिए था।
गोपाल शर्मा ने सरकारी अतिक्रमण हटाने के अभियान का किया विरोध
वसुंधरा राजे के बयान के ठीक अगले दिन, उनके करीबी माने जाने वाले सिविल लाइन विधायक गोपाल शर्मा ने सरकारी अतिक्रमण हटाने के अभियान का विरोध किया। उन्होंने अपनी ही सरकार पर हिंदू विरोधी आरोप लगाए, जिससे बीजेपी में विरोध की और आवाजें सुनाई देने लगीं। इन घटनाओं ने पार्टी के आलाकमान के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है, खासकर उस समय जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया जारी है। इस घटनाक्रम से राजस्थान बीजेपी की गुटबाजी एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है।
राजस्थान में वसुंधरा राजे के बयान और उनके करीबी विधायक गोपाल शर्मा के विरोध ने बीजेपी में आंतरिक हलचल को बढ़ा दिया है। राजे ने पानी के संकट पर सरकार को घेरा, जिससे राज्य में सियासी तापमान बढ़ गया है। अब देखना यह होगा कि पार्टी इस गुटबाजी और नाराजगी से कैसे निपटती है, खासकर तब जब पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व का फैसला होने वाला है।