Rahul Gandhi: लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के हालिया अमेरिका दौरे के दौरान सिख धर्म पर किए गए विवादित बयान से राजनीतिक हलकों में तूफान मच गया है। गांधी ने वर्जीनिया में एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत में सिखों की धार्मिक आजादी को लेकर संघर्ष चल रहा है, जिसमें पगड़ी पहनने, कड़ा पहनने और गुरुद्वारे जाने की इजाजत पर सवाल उठाए गए हैं। उनके इस बयान को लेकर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, और दिल्ली में बीजेपी के सिख प्रकोष्ठ ने उनके आवास के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
दिल्ली में बीजेपी का विरोध प्रदर्शन
दिल्ली बीजेपी के सिख प्रकोष्ठ के पदाधिकारी राहुल गांधी के आवास के बाहर बुधवार यानी 11 सितंबर को भारी विरोध प्रदर्शन में जुटे। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की और कुछ ने दिल्ली पुलिस के बैरिकेड पर चढ़कर प्रदर्शन किया। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए दिल्ली पुलिस को बीजेपी के सिख नेताओं, जिसमें आरपी सिंह भी शामिल हैं, को हिरासत में लेना पड़ा। आरपी सिंह ने एएनआई से बातचीत करते हुए कहा कि राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि गांधी ने विदेशी धरती पर भारत को बदनाम किया है और अपने बयान से सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
1984 के सिख विरोधी दंगों का मुद्दा गरमाया
बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी के बयान को 1984 के सिख विरोधी दंगों की याद दिलाते हुए जोड़ा। बीजेपी प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने दिल्ली में 3,000 सिखों की हत्या की थी और उनके धार्मिक प्रतीकों का अपमान किया था। उन्होंने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वे कांग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक जिम्मेदारियों से ध्यान भटका रहे हैं और अपने पिता राजीव गांधी के समय के दंगों को भुला रहे हैं। सिंह ने गांधी को चुनौती दी कि वे अपनी बात भारत की धरती पर भी दोहराएं और कानूनी कार्रवाई की भी चेतावनी दी।
कांग्रेस ने राहुल गांधी का बचाव किया
कांग्रेस ने राहुल गांधी के बयान का बचाव करते हुए बीजेपी के आरोपों को खारिज किया। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि बीजेपी की आलोचना भारत की आलोचना नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि बीजेपी की आलोचना करने से भारत की आलोचना होती है। कांग्रेस ने राहुल गांधी के बयान को भारतीय समाज में धार्मिक आजादी की चर्चा के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया और बीजेपी के विरोध को अनावश्यक बताया।
31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली और अन्य हिस्सों में सिखों के खिलाफ हिंसा भड़क उठी थी। इस दंगे में हजारों सिख मारे गए थे और उनके धार्मिक प्रतीकों का अपमान हुआ था। इस पृष्ठभूमि में, राहुल गांधी के अमेरिका में दिए बयान ने राजनीतिक माहौल को और भी गर्म कर दिया है। इस विवाद ने एक बार फिर 1984 के सिख विरोधी दंगों की यादों को ताजा कर दिया है और भारतीय राजनीति में धार्मिक और जातीय मुद्दों को उभार दिया है। इस पर सभी पक्षों की प्रतिक्रियाएं आने वाले दिनों में और भी गर्मागरम हो सकती हैं।