Sunil Jakhar Resign: पंजाब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, पार्टी हाईकमान की ओर से अभी तक उनके इस्तीफे को मंजूरी नहीं दी गई है। बीते कुछ समय से जाखड़ राजनीति में कम सक्रिय नजर आ रहे थे और पार्टी की महत्वपूर्ण बैठकों से भी दूरी बनाए हुए थे। उनके इस अप्रत्याशित कदम ने सियासी हलकों में चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
इस्तीफे पर जाखड़ की चुप्पी, पार्टी में सस्पेंस बरकरार
सुनील जाखड़ ने अपने इस्तीफे पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है। पिछले साल जुलाई में भाजपा ने उन्हें पंजाब प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसे उन्होंने महज 14 महीने बाद छोड़ दिया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि जाखड़ का यह फैसला कुछ हालिया घटनाओं से उपजे असंतोष का परिणाम हो सकता है, लेकिन खुद जाखड़ ने इस मुद्दे पर अब तक चुप्पी साधी हुई है।
रवनीत सिंह बिट्टू की नियुक्ति से नाराज थे जाखड़
मिली जानकारी के मुताबिक, सुनील जाखड़ की नाराजगी का मुख्य कारण कांग्रेस नेता रवनीत सिंह बिट्टू को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाए जाने से जुड़ा है। रवनीत बिट्टू 2024 के लोकसभा चुनाव हार गए थे, इसके बावजूद उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया। इस फैसले से जाखड़ असहज महसूस कर रहे थे और उन्होंने पार्टी के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की थी। माना जा रहा है कि यही असंतोष जाखड़ के इस्तीफे की प्रमुख वजह बना।
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कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे जाखड़
सुनील जाखड़ पहले कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिने जाते थे। वह पंजाब में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2022 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद जाखड़ ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। जुलाई 2022 में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें भाजपा में शामिल किया था और कुछ ही समय बाद उन्हें पंजाब का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। जाखड़ की राजनीतिक पकड़ और अनुभव के चलते भाजपा ने उन पर भरोसा जताया था, लेकिन अब उनके इस्तीफे से पार्टी को झटका लगा है।
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भाजपा को हो सकता है नुकसान
सुनील जाखड़ का इस्तीफा भाजपा के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। जाखड़ ने अपनी राजनीतिक यात्रा में कई अहम भूमिकाएं निभाई हैं। वह दो बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। गुरदासपुर से सांसद रहते हुए उन्होंने जनता के बीच अपनी लोकप्रियता बनाई थी। पंजाब में भाजपा के विस्तार और संगठन को मजबूत करने में जाखड़ की भूमिका को अहम माना जा रहा था। उनके इस्तीफे से पार्टी की रणनीति पर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले, जहां भाजपा को जाखड़ के अनुभव की जरूरत थी।
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हाईकमान के फैसले का इंतजार
हालांकि, अभी तक भाजपा हाईकमान ने सुनील जाखड़ का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। पार्टी के शीर्ष नेताओं की ओर से अभी इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा नेतृत्व जाखड़ से इस्तीफा वापस लेने का आग्रह कर सकता है या किसी अन्य समाधान की कोशिश कर सकता है।
पार्टी में बदलाव की बयार
सुनील जाखड़ के इस्तीफे के साथ, पंजाब में भाजपा संगठन में बदलाव की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है। पार्टी आगामी चुनावों के मद्देनजर संगठनात्मक स्तर पर कुछ अहम फैसले ले सकती है। जाखड़ के इस्तीफे ने पार्टी के भीतर असंतोष की ओर इशारा किया है, जिसे नेतृत्व जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश करेगा।
आने वाले दिनों में स्थिति साफ होगी
फिलहाल, सुनील जाखड़ के इस्तीफे को लेकर भाजपा नेतृत्व की चुप्पी बरकरार है। आने वाले दिनों में पार्टी इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय ले सकती है। हालांकि, जाखड़ जैसे वरिष्ठ नेता का इस्तीफा पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।