Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती को लेकर काफी दिनों से विवाद मचा है इस बीच प्रदेश की योगी सरकार ने शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया को व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन किया है।आयोग की अध्यक्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय की समाजशास्त्र की प्रोफेसर कीर्ति पाण्डेय को बनाया गया है।इससे पहले प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल इस पद पर कार्यवाहक के रूप में कार्यरत थे।
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एमपी अग्रवाल को बनाया गया था कार्यवाहक अध्यक्ष
आपको बता दें कि,प्रो. कीर्ति पाण्डेय पद की जिम्मेदारी संभालते हुए लखनऊ में कार्यभार ग्रहण किया क्योंकि प्रयागराज में बना आयोग का मुख्यालय क्रियाशील नहीं था।इससे पहले तक कार्य संचालन के लिए एमपी अग्रवाल को 20 मार्च को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। प्रो. कीर्ति पाण्डेय की विशेषज्ञता ‘इंडियन सोसाइटी एंड कल्चर’ पर है। भारतीय डाक्यों की सामाजिक स्थिति सहित कई पुस्तकों तथा शोध पत्र प्रकाशन भी किया इस पर उन्होंने काफी काम भी किया है। सोशियोलॉजी ऑफ डेवलपमेंट उनका पसंदीदा क्षेत्र है। प्रोफेसर कीर्ति पांडे को आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने पर विश्वविद्यालय परिवार ने उनको बधाई दी है।कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने उन्हें बधाई देते हुए शुभकामनाएं दी हैं।
14 मार्च 2024 को हुआ था 12 सदस्यों का चयन
नए आयोग का अधिनियम 23 अगस्त 2023 को पारित किया गया था। आयोग के सभी 12 सदस्यों का चयन 14 मार्च 2024 को हुआ और उन्होंने 15 मार्च 2024 को लखनऊ में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा के कार्यालय में औपचारिक रूप से कार्यभार ग्रहण किया। यह कदम उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक सुव्यवस्थित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
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प्रो. कीर्ति पाण्डेय ने कुशीनगर से किया स्नातक
प्रो. कीर्ति पाण्डेय ने अपनी शिक्षा 1982 में बुद्ध पीजी कॉलेज कुशीनगर से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के साथ की और फिर 1984 में डीडीयू विश्वविद्यालय, गोरखपुर से मास्टर डिग्री हासिल की उन्होंने समाजशास्त्र में पीएचडी की डिग्री 1992 में प्रमुख समाजशास्त्री प्रोफेसर एसपी नागेंद्र के मार्गदर्शन में पूरी की।उनकी विशेषज्ञता भारतीय समाज और संस्कृति पर है और उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों के बोर्ड में इससे पहले कार्य किया है। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन के बाद उच्च शिक्षा विभाग को फरवरी तक सभी पदों के लिए 800 से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके थे। प्रयागराज में मुख्यालय वाला यह आयोग शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को एकीकृत और केंद्रीकृत करने की दिशा में कार्य करेगा जिससे चयन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और प्रभावी हो सके।