लखनऊ संवाददाता- सुहानी सिंह
Adipurush: फिल्म ‘आदिपुरुष’ का ट्रेलर रिलीज के बाद मूवी जब बड़े परदे पर रिलीज़ हुई। तब से लेकर अभी तक इस मूवी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. वही इस मूवी की कमाई की बात करे तो अभी तक 450 करोड़ से अधिक कमाई कर चुकी है, फिर भी आम जनता और धार्मिक प्रवृत्ति के जो लोग हैं वो लगातार इस मूवी को बैन करने का मांग कर रहे है वही अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में कुलदीप तिवारी ने याचिका दाखिल कर दिया है।
आपको बता दे इलाहाबाद हाई कोर्ट में लगातार 3 दिन सुनवाई होने के बाद अब कोर्ट ने फिल्म को लेकर अब सख्त रवैया अपनाया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अब विवादित फिल्म ‘आदिपुरुष’ के निर्देशक ओम राउत (Om Raut), निर्माता भूषण कुमार (Bhushan Kumar), संवाद लेखक मनोज मुंतशिर उर्फ मनोज शुक्ला (Manoj Muntashir) तलवार लटकते दिखाई दे रहा है।
क्यों कि कोर्ट ने फिल्म के निर्माता, निर्देशक, लेखक को कोर्ट ने 27 जुलाई को अदालत के समक्ष पेश होने कहा है इसके साथ ही केंद्र सरकार को फिल्म पर अपना विचार पेश करने के लिए एक समिति के गठन का निर्देश दिया है.
फिल्म आदिपुरुष को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं पर कोर्ट में सुनवाई हुई. न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति प्रकाश सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करने वाली दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई की. ये याचिकाएं कुलदीप तिवारी और नवीन धवन की ओर से कोर्ट में दाखिल की गई है, जिसमें इस फिल्म पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाते हुए फिल्म को बैन करने की मांग की गई है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फिर से कहा कि फिल्म को बनाते समय जनभावनाओं का ख्याल नहीं रखा गया है.
निर्देशक, निर्माता और लेखक तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा है की जो दलील वकीलों ने दी है इस दलील पर कोर्ट सहमत नही है कोर्ट ने साफ़ तौर पर आदेश दिया है की फिल्म के निर्देशक ओम राउत, निर्माता भूषण कुमार, संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को 27 जुलाई को उसके सामने पेश हो ये स्पष्टीकरण करे की क्या जो आदिपुरुष फिल्म बनाए हैं वह भगवान के चरित्र पर आधारित है या भगवान चरित्र पर दर्शाया गया है या नहीं दर्शाया गया है।
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अगर नहीं दर्शाया गया है तो किसने इनको हक दिया कि हमारी इतिहास को हमारे धार्मिक ग्रंथों के साथ साथ छेड़छाड़ करे इसी के साथ अदालत ने केंद्र सरकार के सूचना व प्रसारण मंत्रालय को पांच सदस्यीय समिति बनाकर फिल्म से संबंधित शिकायतों को देखने का आदेश दिया है, जो फिल्म पर अपना विचार देगी कि क्या इससे जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची है. अदालत ने मंत्रालय को एक सप्ताह के भीतर समिति का गठन करने और 15 दिनों के भीतर समिति को रिपोर्ट तैयार करने का भी निर्देश दिया है. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी.
दो सदस्य रामचरित मानस और अन्य धार्मिक महाकाव्यों के विद्वान हो
कमेटी में दो सदस्य रामचरित मानस और अन्य धार्मिक महाकाव्यों के विद्वान शामिल हो। इससे पता लगाया जा सके कि भगवान राम, सीता, हनुमान और रावण की कहानी को ग्रंथों के अनुसार दिखाया गया है या नहीं।