Baba Neem Karoli : यूपी के फर्रुखाबाद से 30 किलोमीटर दूर स्थित बाबा नीम करोली धाम देश और दुनिया भर मे विख्यात है.यहां पर दूर-दूर से भक्तगण अपनी मनोकामना को लेकर आते हैं लोगों में मान्यता है कि,जो भी भक्त यहां पूरे श्रद्धा भाव से अपनी मनोकामना को लेकर आता है बाबा उसकी मनोकामना को पूरा करते हैं.बाबा के इस दरबार में पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी से लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,क्रिकेटर विराट कोहली,अभिनेत्री अनुष्का शर्मा और डॉक्टर एल्बर्ट अमेरिका से दर्शन के लिए आ चुके हैं।
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आगरा में हुआ बाबा का जन्म
महंत संत बाबा श्री नीम करोली जी का जन्म ग्राम अकबरपुर आगरा में अनुमानित तौर पर बीसवीं शताब्दी के आरंभ में एक संपन्न परिवार में हुआ था.जो लक्ष्मीनारायण बाबा के नाम से जाने जाते थे.बाबा ने जब भ्रमण के लिए जनपद में प्रस्थान किया था तब से बाबा यहीं रहे जिसके बाद उनकी साधना के लिए जमीन के नीचे एक गुफा बना दी गई.बताया जाता है बाबा दिनभर गुफा में रहकर साधना करते थे उसके बाद रात के अंधेरे में निकलकर वो कब बाहर जाते थे उन्हें किसी ने नहीं देखा।
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मंदिर में सभी मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
नीम करोली बाबा मंदिर में भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है..मौजूदा समय में प्राकृतिक कारणों से वह गुफा नष्ट हो गई है. इसके बाद इस गुफा के निकट में ही एक दूसरी गुफा का निर्माण किया गया है. इस गुफा की ऊपरी भूमि पर बाबा ने एक हनुमान मंदिर बनवाया. जिसकी प्रतिष्ठा में उन्होंने 1 महीने का महायज्ञ किया था. इस अवसर पर उन्होंने अपनी जटाएं भी उतरवा दी और मात्र एक धोती धारण कर आधी धोती पहनते और आधी ओढ़ते थे. कुछ कारणों से 18 वर्ष रहने के उपरांत बाबा ने नीमकरोली गांव को हमेशा के लिए त्याग कर इसके नाम को स्वयं धारण कर इसे विश्व विख्यात एवं अमर बना दिया।
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“हनुमान जी के भक्त नहीं अवतार थे बाबा”
हमारे संवाददाता ने जब मंदिर के पुजारी से बात की तो उन्होंने कैमरे के सामने बताया बाबा हनुमान जी के भक्त नहीं अवतार थे.उनकी लीलाएं हनुमान जी की लीलाओं से अधिक मेल खाती हैं.वे सदा हनुमान के रूप में ही पूजे गए.बाबा में भेद दृष्टि नहीं थी.वे स्वयं लोगों के घरों में जाकर अपनी अलौकिक शक्ति से उनका उद्धार करते थे।
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असंख्य लोगों की परवरिश कर दिलाई दिलाई शिक्षा
बाबा ने असंख्य लोगों की परवरिश कर उन्हें शिक्षा दिलाई और अनगिनत लोगों का विवाह करवाया.वे संतान हीनों को सन्तति सुख प्रदान करते आशीर्वाद देते थे. अवसर पड़ने पर मृत में भी प्राणों का संचार कर दिया करते थे. बाबा रोगों से छुटकारा दिलाने और संकटों से बचाने में सिद्ध थे. इस प्रकार बाबा अपने व्यापक कार्यों में सदा लगे रहते थे. बाबा के लिए असंभव कुछ भी नहीं था
एक बार दर्शन हो जाने पर सपरिवार उनका भक्त बन जाना स्वभाविक था.बाबा के भक्ति और नीम करोली रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक, चंद्रशेखर शुक्ला ने बताया,वो बाबा के भक्त हैं.उन्होंने बताया….रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ा बरगद का यही वह पेड़ है जहां महाराज जी ट्रेन से उतरकर बैठ गये थे जिसके बाद ट्रेन नहीं चल सकी थी और यहीं से बाबा नीम करोली महाराज के चमत्कारी जीवन की शुरुआत हो चली।