Bihar Politics: देश की सत्ता पर बीजेपी लगातार तीन बार से काबिज है, लेकिन बिहार में अपने दम पर कभी भी सरकार नहीं बना सकी है. जाति के इर्द-गिर्द में सिमटी बिहार की राजनीति में बीजेपी नीतीश कुमार के सहारे सत्ता का स्वाद चखती रही लेकिन अब बिहार में BJP आत्मनिर्भर बनने की चणक्य नीति बनाने में जुट गयी है. सात महीने के बाद होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी अभी से ही कमर कस ली है.नीतीश कैबिनेट का विस्तार कराकर बीजेपी ने पहले अपने सियासी समीकरण को सेट किया और अब बिहार से बाहर परदेस में रहने वाले लोगों को साधने की कवायद शुरू करने जा रही है…
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बीजेपी का ‘प्रवासी फार्मूला’

मिशन-बिहार के तहत बीजेपी ने प्रदेश से बाहर देश के अलग-अलग राज्यों में रह रहे लोगों तक पहुंचने की रणनीति बनाई है. बिहार में जीत का परचम लहराने के लिए बीजेपी ‘प्रवासी फार्मूला’ अपना रही है. इस फार्मूले के तहत बीजेपी को बिहार के बाहर दूसरे प्रदेशों में रहने वाले दो करोड़ प्रवासी बिहारियों पर नजर है. इनपर डोरे डालने के लिए भाजपा बिहार दिवस के दिन से ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत, स्नेह मिलन’ कार्यक्रम के तहत, पार्टी देशभर में रह रहे बिहार के लोगों तक पहुंचने का प्रयास करना शुरू कर दिया है.. ये बिलकुल, दिल्ली विधानसभा चुनाव के ‘चोखा-बाटी’ अभियान की तर्ज पर ही है. बीजेपी विभिन्न शहरों में बैठकें आयोजित कर रही है… ताकि प्रवासी बिहारियों का समर्थन प्राप्त किया जा सके.
बीजेपी चुनावी अभियान का बिगुल फूंक रही
पिछले विधानसभा चुनाव 2020 के आंकड़ों को देखें तो महागठबंधन और एनडीए में वोटों का अंतर केवल 13000 के करीब ही था.ऐसे में यदि एक करोड़ प्रवासी बिहार लौटते हैं तो चुनाव में बड़ा उलट फेर कर सकते हैं.अब यह अलग बात है कि जो प्रवासी बिहारी हैं यदि बिहार लौटते हैं तो उनको कौन लुभा सकता है कौन अपने पक्ष में कर सकता है. कुल मिलाकर देखें तो उनका प्रभाव पूरे राजनीति पर पड़ना तय है और इसी नीति को समझते हुए बीजेपी अपने चुनावी अभियान का बिगुल फूंक रही है.
बिहार की आबादी 14 करोड़ के आसपास

बता दें कि बिहार की आबादी 14 करोड़ के आसपास है. इसमें से 7 करोड़ 80 लाख से अधिक वोटर हैं. बिहार के वोटर का बड़ा हिस्सा प्रवासी के तौर पर दूसरे राज्यों में रह रहे हैं या फिर काम कर रहे हैं. कई बार चुनाव के समय बिहार के प्रवासियों को प्रलोभन देकर राजनीतिक दल के बुलाते भी हैं.चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार बिहार के 19 जिलों में सबसे अधिक पलायन करने वाले वोटर है. बिहार में वोटिंग का प्रतिशत देश में सबसे कम होता है. इसका बड़ा कारण पलायन माना जाता है.बिहार की जातीय गणना की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की कुल आबादी का 3.5 फीसदी लोग दूसरे प्रदेशों में रह रहे हैं.जरा इन आंकड़ों पर गौर कीजिए…
प्रवासियों का वोट…क्या कहती है रिपोर्ट!

- 19 जिलों में सबसे अधिक पलायन करने वाले वोटर
- बिहार की 3.5% जनता अन्य राज्यों में प्रवासी
- प्रवासियों में सर्वाधिक 5.68% सवर्ण जाति के लोग
- पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 3.4% लोग
- अनुसूचित जाति और जनजाति के 3.2 % लोग
बिहार चुनाव जीतने की रणनीति
बीजेपी इन्ही प्रवासी मजदूरों को अपने वोट बैंक में सीधे तौर में बदलने का मेगा प्लान लेकर चुनावी मैदाम में कूद गयी है. ये बात बिल्कुल साफ है कि अगर एक करोड़ प्रवासी बिहार लौटते हैं तो चुनाव में बड़ा उलट फेर कर सकते हैं.ऐसे में बीजेपी ने इसके अलावा अलग-अलग जगह पर छठ पूजा समिति के लोगों से भी समय-समय पर बैठकें और विचारों का आदान-प्रदान के लिए कार्यक्रम चलाती रहेगी.बीजेपी नेताओं की तरफ से बिहार के रहने वाले मतदाताओं को अपने जड़ों से जाकर जुड़ने, लोगों से मिलने और बिहार जाकर वोट देने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा.इस तरह बीजेपी की रणनीति बिहार चुनाव को जीतने की है, जिसके लिए प्रवासी वोटरों को साधने का बड़ा दांव माना जा रहा है.