Bangladesh: बांग्लादेश (Bangladesh) में हाल ही में शेख हसीना का तख्तापलट हो गया है, जिसके कारण देश में अराजकता और हिंसा फैल गई है. शेख हसीना, जो पहले ही देश छोड़ चुकी हैं, अब बांग्लादेश में हिंसा का मुख्य शिकार वहां के धार्मिक अल्पसंख्यक, खासकर हिंदू समुदाय, बन गए हैं. इस हिंसा की वजह से बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू अपने घरों को छोड़कर भारत आने की कोशिश कर रहे हैं. बांग्लादेश में इस गंभीर स्थिति को लेकर कई सेलेब्रिटीज ने अपनी चिंता और दुख व्यक्त किया है, जिनमें कंगना रनौत और प्रीति जिंटा का नाम शामिल हैं.
प्रीति जिंटा की प्रतिक्रिया आई सामने
बताते चले कि एक्ट्रेस प्रीति जिंटा ने बांग्लादेश में जारी हिंसा के खिलाफ आवाज उठाते हुए ट्विटर पर एक भावनात्मक पोस्ट साझा किया है. उन्होंने लिखा, “बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा देखकर मैं बहुत दुखी हूं. वहां लोगों की जानें जा रही हैं, परिवार विस्थापित हो रहे हैं, महिलाओं का शोषण हो रहा है, और पूजा स्थलों (मंदिरों) को तोड़ा और जलाया जा रहा है.” प्रीति जिंटा ने नई सरकार से अपील की कि वह इस हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए और अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करे. उन्होंने ट्वीट में हैशटैग #SaveBangladeshiHindus का भी इस्तेमाल किया और संकट में फंसे लोगों के लिए संवेदनाएं और प्रार्थनाएं व्यक्त की.
अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा
रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश (Bangladesh) के 45 जिलों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा फैल चुकी है. हिंदुओं की संपत्तियों को लूटा जा रहा है और उन्हें हिंसा से बचने के लिए ‘प्रोटेक्शन मनी’ की मांग की जा रही है. इस हिंसा के संदर्भ में प्रीति जिंटा की भावनात्मक अपील महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
कंगना रनौत का बयान
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इससे पहले कंगना रनौत ने भी बांग्लादेशी हिंदुओं के समर्थन में एक ट्वीट किया. उन्होंने बांग्लादेशी हिंदुओं को आत्मरक्षा में तलवार उठाने की सलाह दी और कहा कि इतिहास की सबसे बड़ी लड़ाई अक्सर शांति के लिए लड़ी जाती है. कंगना ने उनके संघर्ष और आत्मरक्षा के प्रयासों को समर्थन देने के लिए प्रेरित किया.
कई बॉलीवुड हस्तियों की प्रतिक्रिया आई सामने
इस प्रकार, बांग्लादेश (Bangladesh) में बढ़ती हिंसा और अराजकता पर बॉलीवुड की कई प्रमुख हस्तियों की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. इनसेलेब्रिटीज की अपील और प्रतिक्रियाएं इस बात का संकेत हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर गहरी चिंता और संवेदनशीलता है.
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