Guru Nanak Jayanti 2024: सिखों के प्रमुख त्योहार गुरु नानक जयंती जिससे वे बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते है जिससे प्रकाश पर्व या गुरु पुरब के नाम से भी जाना जाता है। यह सिख समुदाय के लोगो के लिए बहुत ही खास और महत्व रखने वाला त्योहार है। इस दिन गुरु नानक जयंती के दिन अखंड पाठ और नगर कीर्तन जैसे कई बड़े अनुष्ठान किए जाते हैं। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के पूर्णिमा तिथि के आता है। मगर आपको पता हैं कि इसे प्रकाश पर्व क्यों कहा जाता हैं? आइए जानते है इसके पीछे की कहानी।
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अनगिनत दीयों से प्रकाशमय होता है संसार
गुरु नानक जयंती हर साल सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन पर मनाई जाती है। इस बार 15 नवंबर गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाने वाली गुरु नानक जयंती पर लोग गुरुद्वारे जाते हैं और नगर कीर्तन का आयोजन भी करते हैं। वहीं, रात के समय असंख्य दीयों से संसार प्रकाशमय हो जाता है। यह सिख समुदाय में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और इसे हर साल विश्वभर में मनाया जाता है। इस दिन दुनिया भर के सिख गुरु को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिनका जन्म राय भोई की तलवंडी, आज का ननकाना साहिब, लाहौर, पाकिस्तान में 1469 में हुआ था।
प्रकाश पर्व या गुरु पर्व
गुरु नानक देव जी को प्रकाश पर्व या गुरु पर्व कहा जाता हैं। क्योंकि उन्होंने समाज की अज्ञानता को दूर करने के लिए एक ज्ञान का दीपक जलाया था। जिसके साथ है गुरु नानक देव जी लोगों को सीख दी कि ईश्वर एक है और हमें सबके साथ प्रेम और भाईचारा रखना चाहिए। ज्ञान का प्रकाश फैलाने के कारण गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से दीए जलाए जाते हैं। वहीं, कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली भी होती है। इस कारण भी देव दिवाली की खुशी में रात के समय दीए जलाकर प्रकाश किया जाता है।
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गुरु नानक जयंती पर क्या करें?
गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर आपको क्या करना चाहिए? सबसे पहले सुबह स्नान करके ‘नित नेम’ करें जिसमें पांच वाणी का पाठ होता है। फिर साफ कपड़े पहनकर गुरुद्वारा जाएं, मत्था टेकें और सात संगत के दर्शन करें। गुरुवाणी और कीर्तन सुनें और गुरुओं के इतिहास के बारे में जानें। दिल से अरदास सुनें, संगत और गुरुद्वारे में सेवा करें। गुरु के लंगर में जाकर सेवा करें और अपनी कमाई का दसवां हिस्सा धार्मिक कार्यों और गरीबों की मदद के लिए दान करें।
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क्यों हैं कीर्तन का महत्व?
बता दे, इस दिन प्रभात फेरी का भी बहुत महत्व है। गुरु नानक जयंती से कुछ दिन पहले ही सुबह-सुबह प्रभात फेरियां निकालनी शुरू हो जाती है मगर गुरु नानक जयंती पर एक विशाल नगर कीर्तन भी किया जाता है जिसकी अगुवाई पंज प्यारे करते हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजी पालकी में रखकर पूरे नगर में घुमाया जाता है और अंत में गुरुद्वारे वापस लाया जाता है। इन प्रभात फेरियों में श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए गुरु नानक देव जी के उपदेशों का प्रचार करते हैं। रास्ते में जगह-जगह श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है। प्रभात फेरियों के साथ-साथ घर-घर जाकर भी कीर्तन किया जाता है। लोगों के घरों में कीर्तन करने वालों का स्वागत फूलों और आतिशबाजी से किया जाता है।