Harsishankar Tiwari News: उत्तर प्रदेश की सियासत में स्वर्गीय हरिशंकर तिवारी (Harsishankar Tiwari) की प्रतिमा के चबूतरे को तोड़ने का मुद्दा जोर पकड़ता जा रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) चीफ अखिलेश यादव (Chief Akhilesh Yadav) द्वारा सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट किए जाने के बाद यह मामला विधानसभा में भी उठाया गया। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय और सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। हरिशंकर तिवारी की प्रतिमा के चबूतरे को तोड़ने का मुद्दा उत्तर प्रदेश की सियासत में गरमा गया है। सोशल मीडिया से लेकर विधानसभा तक इस मुद्दे ने जोर पकड़ा और सपा विधायकों ने इस पर जोरदार हंगामा किया।
गोरखपुर में फाउंडेशन पर बुलडोजर
गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी की मूर्ति के लिए बनाए जा रहे फाउंडेशन को जिला प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया। इस पर सपा विधायकों ने विधानसभा में जोरदार हंगामा किया। विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन की शुरुआत होते ही माता प्रसाद पांडेय ने सबसे पहले यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान ने डीएम और एसडीएम को प्रस्ताव दिया था और स्वीकृति मिल गई थी। चबूतरा और गेट बन चुका था, लेकिन उसे तोड़ दिया गया, जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया।
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तानाशाही नहीं चलेगी: सपा विधायक
इस दौरान सपा विधायकों ने नारेबाजी करते हुए कहा कि तानाशाही नहीं चलेगी। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि इस मामले में नोटिस नहीं दी गई, इसलिए वे सरकार से क्या कहें। सपा विधायक कमाल अख्तर ने भी सरकार से सवाल किए और कहा कि स्वर्गीय हरिशंकर तिवारी सात बार के विधायक रहे हैं और उनकी प्रतिमा के संदर्भ में ऐसा करना गलत है।
प्रशासन और पुलिस का विरोध
जानकारी के अनुसार, भूतपूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत हरिशंकर तिवारी के पैतृक गांव चिल्लूपार विधानसभा के बड़हलगंज टाड़ा में उनकी प्रतिमा लगने से प्रशासन और पुलिस ने रोका। मूर्ति के लिए बनाए जा रहे फाउंडेशन को जमींदोज कर दिया गया। इस दौरान प्रशासन और पुलिस को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा।
विनय शंकर तिवारी की प्रतिक्रिया
उधर, चिल्लूपार के पूर्व विधायक और हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय शंकर तिवारी ने इसे खेदजनक बताते हुए ट्वीट कर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जिस सरकार में कल्याण सिंह के जमाने में उनके पिता मंत्री रहे हैं, आज उसी सरकार के शासनाधीश द्वारा सत्ता के अहंकार में उनका अपमान किया जा रहा है। यह मुद्दा न केवल प्रशासनिक, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील है। हरिशंकर तिवारी जैसे प्रतिष्ठित नेता की प्रतिमा के चबूतरे को तोड़ने का निर्णय निश्चित रूप से विवादित है और इसे राजनीतिक द्वेष की दृष्टि से देखा जा सकता है। यह घटना दर्शाती है कि हमारे समाज में सम्मानित नेताओं की विरासत को भी राजनीतिक विवादों में घसीटा जा सकता है।
विपक्षी दलों द्वारा इस मुद्दे को उठाने से यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक दल ऐसी घटनाओं का इस्तेमाल अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए करते हैं। हालांकि, प्रशासन को भी इस तरह के संवेदनशील मामलों में पारदर्शिता और सावधानी बरतनी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार के सामाजिक और राजनीतिक तनाव से बचा जा सके।