Samvidhaan Hatya Diwas: कांग्रेस नेता जयराम रमेश (JaiRam Ramesh) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने दस वर्षों तक देश में अघोषित आपातकाल लगाया और अब पाखंड में एक और सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहे हैं। रमेश ने 4 जून, 2024 को होने वाले चुनावों की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत के लोगों ने पीएम मोदी को एक निर्णायक व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार देने का संकल्प लिया है। शुक्रवार को भाजपा सरकार ने घोषणा की कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने देश में आपातकाल लागू किया था, जिसके बाद अधिकांश नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था।
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कांग्रेस की प्रतिक्रिया: मोदीमुक्ति दिवस
कांग्रेस (Congress) ने इस घोषणा पर पलटवार करते हुए मोदीमुक्ति दिवस का तंज कसा है। जयराम रमेश ने कहा कि यह एक गैर-जैविक प्रधानमंत्री है जिसने संविधान और उसके सिद्धांतों, मूल्यों और संस्थानों पर व्यवस्थित हमला किया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का वैचारिक परिवार 1949 में भारत के संविधान को इस आधार पर खारिज कर चुका था कि यह मनुस्मृति से प्रेरित नहीं है। रमेश ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी के लिए लोकतंत्र का मतलब केवल ‘डेमो-कुर्सी’ है।
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अमित शाह का बयान: इंदिरा गांधी की तानाशाही मानसिकता
गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इस घोषणा को लेकर कहा कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। शाह ने कहा कि संविधान हत्या दिवस हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा।
लोकसभा चुनाव और संविधान की राजनीति
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में संविधान को लेकर जबरदस्त राजनीति हुई। विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह संविधान को खत्म करने की कोशिश कर रही है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) सहित विपक्षी नेता अपनी सभाओं में संविधान की छोटी कॉपी लेकर जाते थे और लोगों से कहते थे कि हम इसे बचाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी ओर, भाजपा लगातार यह दावा करती रही कि अगर देश में कभी संविधान और लोकतंत्र खतरे में आए हैं, तो वह कांग्रेस की सरकार में आया है, जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी।
25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित
केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर जारी अधिसूचना को शेयर करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, “25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया।”
संविधान हत्या दिवस का उद्देश्य
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान हत्या दिवस उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण कराएगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था। इस दिन को मनाने का उद्देश्य उन घटनाओं को याद करना है ताकि भविष्य में कोई भी तानाशाही मानसिकता इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए। इस घोषणा पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार का यह कदम सिर्फ ध्यान भटकाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और उनकी पार्टी ने देश की संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया है और यह दिवस सिर्फ एक पाखंड है।
अमित शाह का जवाब
गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि 1975 के आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र को गहरा आघात पहुंचाया था और इसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि संविधान हत्या दिवस के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाना जरूरी है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए सतर्क रहना कितना महत्वपूर्ण है।
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भविष्य की राजनीति पर प्रभाव
25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा से आंध्र प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। इस फैसले का असर भविष्य की राजनीति और चुनावों पर भी देखने को मिलेगा। जहां एक ओर भाजपा इस दिवस को लोकतंत्र की रक्षा का प्रतीक मान रही है, वहीं कांग्रेस इसे एक राजनीतिक पैंतरा मानकर खारिज कर रही है। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर जनता की प्रतिक्रिया क्या होती है और यह राजनीतिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित करता है।
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