Sambhal Jama Masjid Case:संभल जिले में जामा मस्जिद (Sambhal Jama Masjid Case) के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें पथराव और फायरिंग के चलते चार लोगों की मौत हो गई। यह सर्वे कोर्ट के आदेश पर डीएम और एसपी के साथ एडवोकेट कमिश्नर द्वारा किया जा रहा था। जैसे ही सर्वे की प्रक्रिया शुरू हुई, उपद्रवियों ने मस्जिद के बाहर जुटकर पुलिसकर्मियों पर पथराव किया और पुलिस वाहनों में आग लगा दी। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। हिंसा में एसडीएम, सीओ, और एसपी के पीआरओ समेत 30 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। इसके बाद, पुलिस ने 15 से अधिक उपद्रवियों को हिरासत में लिया है।
घटना के बाद से संभल बाजार बंद कर दिया गया है और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट सेवा को निलंबित कर दिया गया है। प्रशासन ने जिले में बाहरी लोगों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
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विपक्ष ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार
संभल में जामा मस्जिद (Sambhal Jama Masjid Case) के सर्वे पर हुए बवाल के बाद, विपक्ष ने राज्य सरकार पर तीखा हमला किया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि सरकार ने उपचुनावों में वोटों की लूट को छिपाने के लिए संभल में बवाल करवा दिया। अखिलेश यादव ने सवाल किया कि जब मस्जिद का पहले ही सर्वे हो चुका था, तो इसे फिर से करने की जरूरत क्यों पड़ी। उन्होंने यह भी कहा कि इस हिंसा के लिए सरकार और पुलिस जिम्मेदार हैं।
अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट कर कहा कि जिन लोगों ने सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने का प्रयास किया, उनके खिलाफ शांति और सौहार्द को बिगाड़ने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने बार एसोसिएशन से अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी अपील की है।बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी इस हिंसा की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सर्वे के दौरान हुई हिंसा के लिए पूरी तरह से शासन-प्रशासन जिम्मेदार है। मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर इस विवाद को तूल दिया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
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राजनीतिक बयानबाजी
सपा और बसपा के नेताओं के आरोपों के बाद, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने पलटवार किया और कहा कि समाजवादी पार्टी का न्यायपालिका पर विश्वास नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव और उनकी पार्टी मामले को राजनीति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्षी दलों द्वारा लगाए गए आरोपों के बावजूद, प्रशासन ने दावा किया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।