Jammu and Kashmir Elections: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है। इस बार चुनाव तीन चरणों में होंगे, जिसकी पहली वोटिंग जल्द ही होने वाली है। सभी प्रमुख दल अपनी चुनावी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भी चुनावी बिगुल फूंकने की तैयारी कर ली है। चार सितंबर को राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे, जहां वे दो बड़ी रैलियों को संबोधित करेंगे।
अनंतनाग और संगलदान में करेंगे संबोधन
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और महासचिव गुलाम अहमद मीर के अनुसार, राहुल गांधी की पहली रैली कश्मीर के अनंतनाग में आयोजित की जाएगी, जबकि दूसरी रैली जम्मू के संगलदान में प्रस्तावित है। राहुल गांधी इन रैलियों में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवारों के समर्थन में जनता को संबोधित करेंगे। यह दौरा विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मद्देनजर हो रहा है, लेकिन आगामी चरणों में भी राहुल गांधी का जम्मू-कश्मीर का दौरा संभावित है।
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सीट बंटवारे पर बनी सहमति
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने गठबंधन करके चुनाव लड़ने का फैसला किया है। दोनों दलों के बीच 26 अगस्त को सीटों के बंटवारे पर सहमति बनी थी। इस समझौते के तहत 90 विधानसभा सीटों में से नेशनल कॉन्फ्रेंस 51 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि कांग्रेस 32 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इसके अलावा, पांच सीटों पर दोनों दलों के बीच फ्रेंडली फाइट होगी और दो सीटें सीपीएम पेंथर्स पार्टी को दी गई हैं। गौरतलब है कि पहले चरण के लिए गठबंधन ने 59 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, जिसमें 50 सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और 9 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे।
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चुनाव आयोग ने किया चुनाव का ऐलान
16 अगस्त को चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान किया था। इस बार कुल 90 सीटों पर चुनाव होना है, जिनमें से 46 सीटें जीतने वाले दल के लिए बहुमत का जादुई आंकड़ा होगा। इस चुनावी समर में सभी दलों की निगाहें इस पर टिकी हैं कि कौन सा दल सत्ता की चाबी अपने हाथ में लेगा।
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एक दशक बाद फिर चुनावी महासंग्राम
जम्मू-कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे, जब बीजेपी ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। हालांकि, यह गठबंधन ज्यादा समय तक नहीं चल सका और 2018 में सरकार गिर गई। इसके बाद राज्य में छह महीने तक राज्यपाल शासन रहा। 2019 में, राष्ट्रपति शासन के दौरान, बीजेपी ने भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की और पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35A को खत्म कर दिया। इसके बाद, राज्य का पुनर्गठन करते हुए इसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में विभाजित कर दिया गया। अब, लगभग एक दशक बाद, जम्मू-कश्मीर में फिर से विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, जिससे राज्य की राजनीतिक तस्वीर बदलने की उम्मीद है।
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चुनावी बिसात पर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का दांव
इस बार के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। गठबंधन के रूप में मैदान में उतरना, खासकर कश्मीर के राजनीतिक माहौल में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस गठबंधन को किस नजर से देखती है। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से राज्य की राजनीतिक स्थिति में बड़े बदलाव आए हैं, और अब यह चुनाव तय करेगा कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर की सियासी दिशा क्या होगी।
राहुल गांधी की रैलियां और उनके द्वारा दिए गए संदेश भी इस चुनावी समर में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इस बार का चुनाव न केवल राज्य के लिए बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। सभी दलों की निगाहें इस पर टिकी हैं कि कौन सा दल या गठबंधन बहुमत के जादुई आंकड़े को छू पाएगा और राज्य की राजनीति में किसका सिक्का चलेगा।
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