15 अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि सरकार ‘जन औषधि केंद्रों’ की संख्या 10,000 से बढ़ाकर 25,000 करने के लक्ष्य को लेकर काम कर रही है। वही उन्होनें कहा कि जिन दवाओं की कीमत 100 रुपये है, हम उन्हें 10 से 15 रुपये में दे रहे हैं।
नई दिल्ली: भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) पर दिल्ली में लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने संबोधित करते हुए जन औषधि केंद्र को लेकर भी ऐलान किया। केंद्र सरकार देशभर में 10 हजार से बढ़ाकर 25000 जनऔषधि केंद्र खोलने जा रही है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि सरकार ‘जन औषधि केंद्रों’ की संख्या 10,000 से बढ़ाकर 25,000 करने के लक्ष्य को लेकर काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अगर किसी को मधुमेह हो जाता है, तो उसे करीब 3,000 रुपये मासिक खर्च करना पड़ता है। जिन दवाओं की कीमत 100 रुपये है, जन औषधि केंद्रों के माध्यम से हम उन्हें 10 से 15 रुपये में उपलब्ध करा रहे हैं।
नौ साल में खोले गए 9,884 केंद्र…
देश की जनता को सस्ते दामों पर बीमारी के इलाज के लिए दवा मुहैया कराने में जन औषधि केंद्रों बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, और इसे जबरदस्त रिस्पांस मिला है। पहले सरकार की ओर से मार्च 2024 तक देशभर में 10,000 Jan Aushadhi Kendra स्थापित करने का लक्ष्य तय किया गया था, जो समय से पहले ही लगभग पूरा हो गया है। बीते दिनों संसद में अपने भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आंकड़े पेश करते हुए बताया था, कि साल 2014 में देश में महज 80 केंद्र थे, लेकिन मोदी सरकार के बीते 9 साल के कार्यकाल के दौरान इन जन औषधि केंद्र की संख्या बढ़कर 9,884 हो गई है।
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क्या हैं जन औषधि केंद्र?
मोदी सरकार प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र चलाती है, जिसके तहत देश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सस्ती दवाइयां पहुंचाई जाती हैं। ये छोटे मेडिकल स्टोर जैसे होते हैं, जिनपर जेनेरिक दवाइयां सस्ते मूल्य पर मिलती हैं। इसके जरिए सरकार आर्थिक रूप से निम्नवर्गीय परिवारों तक स्वास्थ्य जरूरतों की पहुंच ज्यादा आसान करना चाहती है। सरकार अब इनकी संख्या 10,000 से बढ़ाकर 25,000 करना चाहती है।
‘भारत विश्व मित्र के रूप में उभरा है’
पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने एक अलग आयुष विभाग की स्थापना की और अब दुनिया आयुष और योग पर ध्यान दे रही है. उन्होंने कहा, ‘दुनिया अब हमारी प्रतिबद्धता के कारण हमें देख रही है.’ उन्होंने कहा कि भारत कोविड महामारी के बाद के समय में ‘विश्व मित्र’ (दुनिया का मित्र) के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोविड के बाद, भारत ने ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य सेवा’ दृष्टिकोण की वकालत की. समस्याओं का समाधान केवल तभी किया जा सकता है जब मनुष्यों, जानवरों और पौधों को बीमारियों के संबंध में समान रूप से देखा जाए.’
IMA ने कहा- जेनेरिक दवाओं की क्वालिटी की गारंटी नहीं…
IMA ने कहा कि अगर डॉक्टरों को ब्रांडेड दवाएं लिखने की अनुमति नहीं दी जाएगी, तो ऐसी दवाओं को लाइसेंस क्यों दिया जाना चाहिए। जेनेरिक दवाओं के लिए सबसे बड़ी पेरशानी उनकी क्वालिटी की गारंटी है। देश में अभी क्वालिटी कंट्रोल बहुत कमजोर है। जब तक सरकार बाजार में जारी सभी दवाओं की क्वालिटी का भरोसा नहीं दिला देती, तब तक इस कदम को टाल देना चाहिए।