Supreme Court Hearing:लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अरुण गोयल के चुनाव आयुक्त पद से इस्तीफा देने और अनूप चंद्र पांडे के रिटायरमेंट के चलते चुनाव आयुक्त के 2 पद खाली हो गए थे,जिसके बाद से ही केंद्र सरकार ने इन पदों को भरने के लिए प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया और इसके लिए 2 चुनाव आयुक्तों के नाम चुने गए थे । पीएम नरेंद्र मोदी ने ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू के नाम पर चुनाव आयुक्त नियुक्त किए जाने के लिए अपनी मुहर लगाई और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद दोनों ने अपना कार्यभार संभाल लिया।
हालांकि दोनों को चुनाव आयुक्त नियुक्त किए जाने के बाद से ही इनकी नियुक्ति रद्द करने की मांग की जाने लगी और कोर्ट में याचिका भी दायर की गई.कोर्ट ने आज उन सभी याचिकाओं को रद्द कर चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को सही ठहराया है लेकिन याचिकाकर्ता ने चुनाव आयुक्त नियुक्त करने के लिए बनाई गई कमेटी में चीफ जस्टिस को भी रखने की मांग की थी।
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“अंतरिम आदेश से कानून पर रोक नहीं लगा सकते”
वहीं जस्टिस संजीव खन्ना और दीपंकर दत्ता की बेंच ने कहा,“हमारे फैसले में उम्मीद की गई थी कि,सरकार चयन पर कानून बनाए,अब संसद से पास कानून के तहत चयन हुआ है, अंतरिम आदेश से कानून पर रोक नहीं लगा सकते, विस्तृत सुनवाई जरूरी है, चुनाव के बीच में आयोग के काम को प्रभावित करना सही नहीं होगा।“
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मामले की अगली सुनवाई अगस्त में
जबकि, सुप्रीम कोर्ट ने संसद से पास कानून की वैधता पर विस्तृत सुनवाई की बात कही, जवाब के लिए सरकार को 6 सप्ताह का समय दिया गया था,जिसके बाद अब इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी.सुनवाई के दौरान जजों ने इस बात पर सवाल उठाया कि,चयन कमेटी की मीटिंग को 15 मार्च से बदलकर 14 मार्च कर दिया गया.इसी के साथ, विपक्ष के नेता को सर्च कमेटी की तरफ से चुने गए नाम बैठक से कुछ देर पहले ही दिए गए, जिसके चलते वो उन पर सही तरीके से विचार नहीं कर पाए।
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क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
आपको बात दें कि,जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने आगे बताते हुए कहा कि,वह मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यालय शर्तें) अधिनियम, 2023 की वैधता को चुनौती देने वाली मुख्य याचिकाओं पर गौर करेगी, पीठ ने कहा, ‘‘हम नियुक्ति पर रोक की अर्जियां खारिज करते हैं,’’ नए कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से पीठ ने कहा, ‘‘इस समय हम कानून पर रोक नहीं लगा सकते हैं, इससे अव्यवस्था और अनिश्चितता की स्थिति पैदा होगी और हम अंतरिम आदेश के माध्यम से इस पर रोक नहीं लगा सकते, नए निर्वाचन आयुक्तों पर कोई आरोप नहीं हैं।’’