Telangana Earthquake:तेलंगाना राज्य में आज सुबह भूकंप (earthquake in telangana) के झटके महसूस किए गए। भूकंप सुबह सात बजकर 27 मिनट पर आया और इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.3 मापी गई। भूकंप का केंद्र मुलुगु (Mulugu) क्षेत्र में था और इसकी गहराई 40 किलोमीटर रही। राहत की बात यह रही कि इस भूकंप के कारण किसी के हताहत होने या संपत्ति को कोई गंभीर नुकसान होने की सूचना नहीं मिली है। भूकंप के झटके से लोग घबराए जरूर, लेकिन स्थिति अब नियंत्रण में है।
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धरती में प्लेटों की गतिशीलता
धरती की संरचना में सात मुख्य प्लेटें होती हैं, जो लगातार एक-दूसरे से टकराती और घूमती रहती हैं। इन प्लेटों के टकराव वाले क्षेत्रों को “फॉल्ट लाइन” कहा जाता है। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो दबाव बनता है और धीरे-धीरे प्लेटें टूटने लगती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान जो ऊर्जा धरती के भीतर से बाहर आती है, वही भूकंप का कारण बनती है। जब यह ऊर्जा अचानक बाहर निकलती है, तो पृथ्वी में कंपन उत्पन्न होता है और इसे हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं।
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भूकंप की रिक्टर स्केल
भूकंप के प्रभाव और उसकी तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता को 1 से 9 तक मापा जाता है। इस स्केल के जरिए हम भूकंप के केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा की मात्रा का आकलन करते हैं। जितनी अधिक ऊर्जा होती है, उतनी अधिक तीव्रता वाला भूकंप होता है। इस स्केल के माध्यम से हमें भूकंप के झटकों की भयावहता का भी अनुमान होता है।
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भूकंप का केंद्र
भूकंप का केंद्र, जिसे एपीसेंटर कहा जाता है, वह बिंदु होता है जो धरती की सतह पर भूकंप के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। भूकंप की हलचल सबसे पहले यहीं से शुरू होती है और यहां पर कंपन की तीव्रता अधिक होती है। जैसे-जैसे हम केंद्र से दूर जाते हैं, भूकंप का प्रभाव घटता जाता है। हालांकि, अगर भूकंप की तीव्रता 7 या उससे अधिक होती है, तो इसका असर आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में बहुत तेज महसूस होता है।
इस प्रकार, भूकंप के दौरान निकलने वाली ऊर्जा और उसकी तीव्रता का प्रभाव पूरी तरह से भूकंप के केंद्र के पास ज्यादा होता है। यदि भूकंप की तीव्रता ज्यादा हो, तो इसके दूरदराज के क्षेत्रों में भी इसके प्रभाव के संकेत मिल सकते हैं। हालांकि, इस बार तेलंगाना में आए भूकंप में किसी प्रकार का बड़ा नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन यह घटना फिर से यह बताती है कि प्रकृति के इस अचानक बदलने वाले रूप से बचने के लिए हमेशा तैयार रहना जरूरी है।