Ram Gopal Yadav On Instagram Reels: राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. रामगोपाल यादव (Ram Gopal Yadav) ने अपने बचपन के शिक्षा अनुभवों को याद करते हुए कहा कि जब उनकी प्रारंभिक शिक्षा शुरू हुई थी, तब अंग्रेजी छठी कक्षा से पढ़ाई जाती थी। उस समय छात्रों को एक वाक्य सिखाया जाता था: “इफ वेल्थ इज लॉस्ट, नथिंग इज लॉस्ट; इफ हेल्थ इज लॉस्ट, समथिंग इज लॉस्ट; इफ करैक्टर इज लॉस्ट, एवरीथिंग इज लॉस्ट।” उन्होंने कहा कि उन्हें चिंता और अफसोस है कि समाज धीरे-धीरे ऐसी स्थिति में पहुंच रहा है जहां मूल्यों का पतन हो रहा है।
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वल्गैरिटी और वायलेंस का बढ़ता प्रसार
रामगोपाल यादव ने कहा कि कुछ चैनल और उनके प्रोग्राम निरंतर अश्लीलता और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले के परिवारों में सभी सदस्य एक साथ बैठते थे, बात करते थे और एक-दूसरे के साथ समय बिताते थे। लेकिन अब स्मार्टफोन और ऑनलाइन गतिविधियों के कारण परिवारों में वह बंधन और प्रेम कम हो रहा है।
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सोशल मीडिया पर समय की बर्बादी
रामगोपाल यादव ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा और स्मार्टफोन के उपयोग से बच्चों तक गंदगी पहुंच रही है। उन्होंने हाउस में पहले भी कहा था कि जब किसी समाज में नग्नता और मद्यपान बढ़ जाता है, तो कई सभ्यताएं नष्ट हो जाती हैं। आजकल लोग ऐसे कपड़े पहनते हैं कि नजरें झुक जाती हैं। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार, रील्स पर देश की युवा पीढ़ी अपना लगभग तीन घंटे बर्बाद कर रही है। भद्दे और अश्लील किस्म के प्रचार प्रसार से समाज में कई विकृतियां पैदा हो रही हैं। अखबारों में अक्सर पढ़ने को मिलता है कि इंस्टाग्राम पर दोस्ती के बाद हत्या और चोरी जैसी घटनाएं हो रही हैं। महाराष्ट्र से एनसीपी सांसद फौजिया खान ने ऑनलाइन गेमिंग की लत पर चिंता जताई। उन्होंने पुणे में एक बच्चे के सुसाइड का उदाहरण दिया और इस मुद्दे पर सख्त नियम बनाने की मांग की।
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सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने का मुद्दा
पंजाब से आम आदमी पार्टी के सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने के मुद्दे पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी के बारे में कुछ भी लिखा जा रहा है, यहां तक कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं के बारे में भी। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे अकाउंट्स को बंद किया जाए और इसके लिए एक विशेष कानून बनाया जाए।
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सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग
सांसदों ने सरकार से इन मुद्दों पर ठोस कार्रवाई करने की मांग की है। यह चिंता केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक है। मौजूदा दौर में सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही इसके दुष्प्रभाव भी नजर आने लगे हैं। अश्लीलता, हिंसा और गलत मूल्यों का प्रसार चिंता का विषय है। सरकार और समाज दोनों को मिलकर ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिल सके। सोशल मीडिया पर नियंत्रण और परिवारों के बीच संवाद को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया की लत से युवाओं को बचाने के लिए सख्त कानून और जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है। इसके साथ ही हमें अपनी संस्कृति और मूल्यों को संरक्षित रखने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।
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