Chhattisgarh news : ग्राम पंचायत बोरतरा में मनरेगा कार्य के दौरान पंचायत के जनप्रतिनिधियों द्वारा मनमानी किए जाने का मामला सामने आया है। जिसके तहत महिला मजदूरों ने गांव के सरपंच और उप सरपंच पर क्षमता से अधिक कार्य करवाए जाने जैसे शोषण का आरोप लगाया है। महिलाओं का आक्रोश इस तरह भड़क उठा की महिलाएं बुधवार को गुरुर जनपद पंचायत आ पहुंची और सरपंच उप सरपंच की शिकायत की गई।
महिलाओं का कहना है कि गांव में सरार का गहरीकरण चल रहा है। जहां की मिट्टी काफी कठोर है और वहां से मिट्टी खोदकर निकालने फिर उसे ट्रैक्टर में लोड कर गठन तक पहुंचाने का काम कराया जा रहा है। एक ट्रैक्टर के पीछे तीन महिलाओं को काम दिया गया है। जो कि न्याय संगत नहीं है। सुबह 6 बजे से काम शुरू होता है और तपती दोपहरी में 2 बजे तक काम कराया जाता है।
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“पिछले सत्र में गौठान में जो काम किए हैं उसकी भी मजदूरी आज तक नहीं मिली”
सरपंच, उप सरपंच मनमानी और दादागिरी कर रहे हैं । विरोध करने पर कहा जाता है कि जो करना है कर लो, काम नहीं करना है तो घर वापस चले जाओ। इस बात से नाराज होकर लगभग 100 महिलाएं जनपद का घेराव करने के लिए पहुंची थी। जिसके बाद उच्च अधिकारियों की समझाइश के साथ मामला शांत हुआ। महिलाओं ने यह भी बताया कि पिछले सत्र में गौठान में जो काम किए हैं उसकी भी मजदूरी आज तक नहीं मिली। 10 से 15 महिलाओं को भुगतान आज भी शेष है। महिलाओं ने बताया कि आश्रित ग्राम खैरवाही में भी काम चल रहा है।
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तीन महिलाओं को एक ट्रैक्टर भरने का ठेका दिया
वहां 12 बजे तक छुट्टी कर दिया जाता है ।लेकिन बोरतरा में लगभग 2 बजे तक काम कराया जाता है। शिकायत करने पर काम छोड़ने की धमकी दी जाती है या फिर खैरवाही से मजदूर बुलाकर काम करवा लेने की बात कही जाती है। महिलाओं ने बताया कि खैरवाही में काम खुले बहुत दिन हो गए हैं वही बोरतरा में काम शुरू हुए सिर्फ तीन दिन हुए हैं। रोजगार की ऐसी ही कमी है। ऐसे में मजबूरी का फायदा पंचायत प्रतिनिधि उठा रहे हैं और दादागिरी के साथ काम करवा रहे हैं। तीन महिलाओं को एक ट्रैक्टर भरने का ठेका दिया जाता है।
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लगभग 8 घंटे काम होना चाहिए
12 से 15 लोगों की टीम बनाई गई है। जिनको ट्रैक्टर भर कर देना होता है। नहीं देने पर काम से निकालने की बात सरपंच के द्वारा की जाती है। आक्रोशित महिलाएं जब जनपद पंचायत पहुंची तो मनरेगा अधिकारी प्रतिज्ञा चंद्राकर ने कहा कि नियम के तहत तो सुबह 9 से शाम 5 बजे तक काम करने का है ।लगभग 8 घंटे काम होना चाहिए। इसमें एक घंटा खाना खाने का है। रही धूप की बात तो गोदी वैसा ही निकला है। इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। लेकिन मजदूरों को ज्यादा परेशानी ना हो इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
उन पर दबाव पूर्ण काम नहीं करवाया जाना चाहिए। महिलाओं ने जनपद पंचायत से न्याय नहीं मिलने के बाद कलेक्टर तक जाने की भी चेतावनी दी है। इस दौरान प्रमुख रूप से अंजलि चंदेल, चंपा बाई, पोषण लाल बंजारे, हेमलता अग्रवाल, प्रमिला सिन्हा, सुभद्रा सिन्हा, ममता सिन्हा सुनीता मंडावी, चंपा देशलहरे, देवबती देशलहरे, संतोषी देशलहरे, रजनी यादव आदि मौजूद रहे।
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कार्य में पारदर्शिता का भी अभाव, नहीं लगा अब तक कोई बोर्ड
वहीं महिला मजदूरों ने बताया कि मनरेगा में कितने की स्वीकृति हुए, कितने का काम कराया जा रहा, इसको लेकर भी कोई जानकारी कार्यस्थल पर चस्पा नहीं की गई है। किसी तरह का बोर्ड भी अब तक नहीं लगाया गया है। महिलाओं ने बताया कि जब काम अंतिम चरण पर आता है तब जाकर बोर्ड लगाया जाता है। पारदर्शिता का अभाव रहता है।