Paris Paralympics 2024: पेरिस में चल रहे पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भारतीय एथलीटों का दबदबा जारी है। हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले धर्मबीर ने 4 सितंबर को क्लब थ्रो F51 इवेंट में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। उनके 34.92 मीटर के थ्रो ने न केवल उन्हें गोल्ड मेडल जिताया, बल्कि उन्होंने एशियन रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। धर्मबीर का यह प्रदर्शन भारतीय खेल इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।
धर्मबीर की शुरुआत हालांकि उम्मीद के अनुसार नहीं रही थी। उनके पहले चार थ्रो फाउल हो गए थे। लेकिन पांचवे थ्रो में उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी और वह थ्रो भारत के लिए पांचवा गोल्ड मेडल लेकर आया। क्लब थ्रो F51 उन एथलीटों के लिए है, जिनके शरीर का निचला हिस्सा बुरी तरह प्रभावित होता है, और वे बैठकर खेल में भाग लेते हैं। इस खेल में कंधों और हाथों का उपयोग किया जाता है।
खेल से पहले नहीं था कोई संबंध
35 वर्षीय धर्मबीर का खेल से पहले तक कोई संबंध नहीं था। वह एक सामान्य जीवन जी रहे थे, लेकिन एक हादसे ने उनका जीवन पूरी तरह से बदल दिया। धर्मबीर एक बार तैरने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन गहराई का गलत अनुमान लगने से वह पानी में एक बड़ी चट्टान से टकरा गए। इस दर्दनाक घटना के कारण उनका कमर के नीचे का हिस्सा पैरालिसिस का शिकार हो गया, और वे हमेशा के लिए व्हीलचेयर पर आ गए। धर्मबीर के लिए यह घटना किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं थी, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय अपनी जिंदगी को नए सिरे से जीने का फैसला किया।
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खेल से मिला जीवन का नया उद्देश्य
पैरालिसिस के बाद धर्मबीर को कठिन दौर से गुजरना पड़ा, लेकिन उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। 2014 में जब वे 25 साल के थे, तब उन्हें पैरा खेलों के बारे में जानकारी मिली। यहीं से उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया। क्लब थ्रो में धर्मबीर को उनके साथी और मेंटॉर अमित कुमार सरोहा का साथ मिला, जो खुद भी एक दुर्घटना के बाद व्हीलचेयर पर आ गए थे। धर्मबीर ने अमित से प्रेरित होकर कड़ी मेहनत शुरू की। सिर्फ 2 साल के भीतर ही उन्होंने अपनी पहचान बना ली और 2016 के रियो पैरालंपिक में जगह बना ली। हालांकि, वहां वे 9वें स्थान पर रहे। इसके बाद 2020 के टोक्यो पैरालंपिक में भी उन्होंने क्वालीफाई किया, जहां उनका प्रदर्शन 8वें स्थान पर रहा।
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लगातार मेहनत ने दिलाया गोल्ड
पैरालंपिक जैसे बड़े मंच पर दो बार पदक से चूकने के बाद धर्मबीर ने अपने खेल में सुधार किया और पिछले दो सालों से वे लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। 2022 में चीन में आयोजित एशियन पैरा खेलों में उन्होंने भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता। इसके अलावा, 2022 में इंटरनेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में क्लब थ्रो और डिस्कस थ्रो में भी उन्होंने 2 सिल्वर मेडल हासिल किए। हरियाणा सरकार ने धर्मबीर को उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए भीम अवॉर्ड से भी सम्मानित किया है, जो राज्य सरकार का सर्वोच्च खेल सम्मान है। धर्मबीर का यह गोल्ड मेडल सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के लिए गर्व का पल है। उनके संघर्ष और समर्पण की कहानी हमें सिखाती है कि अगर मन में ठान लें, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती।
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