Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय महिला पैरा एथलीट दीप्ति जीवांजी ने 400 मीटर टी20 वर्ग में कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। इस उपलब्धि पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी। राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा, “महिलाओं की 400 मीटर – टी20 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने पर दीप्ति जीवनजी को हार्दिक बधाई। यह पदक आपके लचीलेपन और समर्पण का प्रतीक है। भविष्य में आपकी और भी उच्च उपलब्धियों की कामना करती हूं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करते हुए दीप्ति की प्रशंसा की और कहा, “पेरालंपिक 2024 में महिलाओं की 400 मीटर टी20 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने के लिए दीप्ति जीवनजी को हार्दिक बधाई। वह अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणा हैं और उनकी दृढ़ता काबिले तारीफ है।”
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कांस्य जीतकर देश का किया गौरव बढ़ाया
दीप्ति जीवांजी ने 400 मीटर टी20 फाइनल में 55.82 सेकेंड का समय लेते हुए तीसरा स्थान हासिल किया। उनका रिएक्शन टाइम 0.164 सेकेंड था, जिसने उन्हें कांस्य पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पदक के साथ भारत ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में अपना 16वां पदक जीता है। टी20 वर्ग में यूक्रेन की यूलिया शुलियार ने 55.16 सेकेंड का समय लेकर स्वर्ण पदक जीता, जबकि तुर्किये की आयसेल ओंडर ने 55.23 सेकेंड का समय लेकर रजत पदक जीता। दीप्ति, जो इस महीने 21 साल की होने वाली हैं, ने अपने शानदार प्रदर्शन से दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई। टी20 वर्ग उन एथलीट्स के लिए होता है जो बौद्धिक रूप से कमजोर होते हैं, और दीप्ति ने इस श्रेणी में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारत का नाम रोशन किया है।
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गरीबी में बीता दीप्ति का बचपन
तेलंगाना के वारंगल जिले के कलेडा गांव में जन्मी दीप्ति जीवांजी ने कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनके माता-पिता के अटूट समर्थन ने उन्हें सफलता की ओर अग्रसर किया। दीप्ति का बचपन गरीबी और सामाजिक पूर्वाग्रहों के बीच बीता। उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूर थे, जिन्होंने अपने बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए अपनी जमीन तक बेच दी थी। दीप्ति को बौद्धिक दुर्बलता के कारण समाज से उपहास सहना पड़ा, लेकिन उनके माता-पिता ने हमेशा उनका साथ दिया, जो उनकी सफलता का आधार बना।
विश्व पैरा एथलेटिक्स में भी जीता था स्वर्ण पदक
दीप्ति ने इसी साल मई में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर टी20 स्प्रिंट में 55.07 सेकेंड का समय लेते हुए स्वर्ण पदक जीता था। इस प्रदर्शन के साथ ही उन्होंने पेरिस पैरालंपिक के लिए भी क्वालिफाई किया था। हालांकि, उनके इस रिकॉर्ड को आयसेल ओंडर ने 54.96 सेकेंड का समय लेकर तोड़ दिया। इसके बावजूद, दीप्ति का संघर्ष और उनकी दृढ़ता उन्हें इस मुकाम पर लेकर आई है, जहां उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में कांस्य पदक जीता।
दीप्ति का यह पदक न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों की कहानी बयां करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस प्रकार विपरीत परिस्थितियों में भी दृढ़ निश्चय और समर्पण से सफलता हासिल की जा सकती है। उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा देश गर्वित महसूस कर रहा है।
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