Uniform Civil Code: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर अपनी सरकार का रुख स्पष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि देश को एक समान नागरिक संहिता की जरूरत है। इस बयान ने एक बार फिर यूसीसी के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। प्रधानमंत्री के इस बयान पर विपक्ष ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा हमला किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी का यूसीसी संस्करण हिंदू अविभाजित परिवार, अनुसूचित जाति और हिंदू रीति-रिवाजों के लिए अपवाद है। ओवैसी ने सवाल उठाया कि हिंदुओं के भीतर दयाभागा और मिताक्षरा जैसी विभिन्न परंपराओं और संस्कृतियों का क्या होगा? उन्होंने उत्तराखंड यूसीसी को भाजपा के पाखंड का आदर्श मामला बताया और आरोप लगाया कि यह कानून हिंदू मूल्यों और परंपराओं को बाकी भारतीयों पर थोपने का प्रयास है।
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बिलकिस बानो मामले पर किया हमला
असदुद्दीन ओवैसी ने स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को लेकर उन पर निशाना साधा। उन्होंने गुजरात में भाजपा सरकार द्वारा बिलकिस बानो के बलात्कारियों और उनके परिवार के हत्यारों की रिहाई को मंजूरी देने पर सवाल उठाया। ओवैसी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “आज के संबोधन में नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की। उनकी अपनी सरकार ने बिलकिस बानो के बलात्कारियों और उनके परिवार के हत्यारों की रिहाई को मंजूरी दे दी।”
महिलाओं की सुरक्षा पर ओवैसी ने जताई चिंता
ओवैसी ने यह भी कहा कि बिलकिस बानो ने न्याय के लिए लड़ाई में 15 साल बिताए और नरेंद्र मोदी तब ज्यादातर समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने कर्नाटक में एक ऐसे उम्मीदवार के लिए प्रचार किया, जिस पर हजारों महिलाओं के खिलाफ सबसे जघन्य अपराधों का आरोप है। ओवैसी ने दावा किया कि कथित तौर पर भाजपा आलाकमान को इन अपराधों के बारे में सार्वजनिक होने से बहुत पहले ही पता था।
यूसीसी पर विपक्ष की प्रतिक्रियाएँ
ओवैसी के अलावा, अन्य विपक्षी नेताओं ने भी यूसीसी पर प्रधानमंत्री के बयान की आलोचना की। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों ने भी यूसीसी को लेकर भाजपा की मंशा पर सवाल उठाए। उनका मानना है कि यह मुद्दा चुनावी फायदे के लिए उठाया गया है और इससे समाज में विभाजन बढ़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूसीसी पर बयान निश्चित रूप से एक बड़े राजनीतिक मुद्दे को जन्म देगा। जबकि यूसीसी की जरूरत और महत्व पर विचार किया जा सकता है। केवल एकतरफा निर्णय से समाज में असंतोष और विभाजन बढ़ सकता है।
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