बिहार: अगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एकता बनाने के उद्देश्य से अट्ठारह दलों के शीर्ष विपक्षी नेताओं की पहली बड़ी बैठक आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी आवास पर होने जा रही है। पटना में होने वाली विपक्ष एकता बैठक से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा- ‘एकसाथ मिलकर हम बीजेपी को हराने जा रहे हैं,’ कर्नाटक में हम लोगों ने बीजेपी को हराया है।
बीजेपी को हटाने के लिए हो रही विपक्ष एकता बैठक
साथ ही उन्होंने दावा किया कि तेलगांना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनेगी। इस बैठक में छह राज्यों के सीएम और 5 राज्यों के पूर्व सीएम शामिल होंगे।
विपक्ष एकता बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने को लेकर रणनीति पर चर्चा होगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष को एकजुट करने के लिए यह विपक्ष एकता बैठक बुलाई है।
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देश में दो विचारधाराओं की चल रही लड़ाई
राहुल गांधी ने कहा, देश में दो विचारधाराओं की लड़ाई चल रही है एक हमारी भारत जोड़ो की और एक तरफ भाजपा की भारत तोड़ो विचारधारा की, बीजेपी हिंदुस्तान को तोड़ने का काम कर रही है। नफरत और हिंसा फैलाने का काम कर रही है और कांग्रेस पार्टी जोड़ने का काम कर रही है और मोहब्बत फैलाने का काम करते हैं।
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नफरत को नफरत से नहीं काटा जा सकता है, नफरत को मोहब्बत से ही काटा जा सकता है। कांग्रेस पार्टी का जो डीएनए है वो बिहार में है। आपने हमारी भारत जोड़ो यात्रा में बहुत मदद की।
मैं जिस राज्य में भी गया वहां बिहार के लोग हमारे साथ चले। बता दे कि बैठक में 15 पार्टियों के नेता पहुंच गए हैं। इसमें भाजपा के खिलाफ लड़ने का रोडमैप तैयार किया जाएगा।
पटना पहुंचे कांग्रेस नेता के बड़े नेता
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, शरद पवार, उद्धव ठाकरे शुक्रवार सुबह पटना पहुंचे। राहुल और खड़गे पहले एअरपोर्ट से सीधे कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे। यहां राहुल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर BJP को हराएंगे।
देश में दो विचारधारा की लड़ाई चल रही है। एक तरफ कांग्रेस की भारत जोड़ो विचारधारा है तो दूसरी ओर BJP-RSS की भारत तोड़ो। राहुल गांधी पटना में कांग्रेस कार्यालय पर गए, यहां कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, पूरा देश समझ गया है कि नरेंद्र मोदी और भाजपा का मतलब सिर्फ 2-3 लोगों को फायदा पहुंचाना है।
वहीं कांग्रेस का मतलब देश के गरीबों के साथ खड़े होना और उनके लिए काम करना है, उन्होंने कहा कि संसद के मानसून सत्र से पहले कांग्रेस दिल्ली के अध्यादेश के मुद्दे पर फैसला करेगी।
खड़गे ने आगे कहा, हम सभी बीजेपी के खिलाफ मिलकर लड़ना चाहते हैं और हमारा एजेंडा एकजुट होकर बीजेपी सरकार को हटाना है। खड़गे ने कहा, हम चाहते हैं कि सभी लोग एकजुट होकर लड़ें और वहां जाकर हम सभी की राय लेंगे और आम सहमति बनाएंगे। राहुल गांधी विपक्षी एकता की कोशिश कर रहे हैं और पटना में विपक्ष एकता बैठक उसी का हिस्सा है।
बिहार जीत गए तो भारत जीत जाएंगे- मल्लिकार्जुन खरगे
वहीं बैठक को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी कांग्रेस कार्यालय पर कहा, इस कांग्रेस ऑफिस से जो भी नेता निकला वे देश के आजादी के लिए लड़ा। हमें गर्व है कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी इसी धरती से थे। अगर हम बिहार जीत गए तो सारे भारत में हम जीत जाएंगे।
15 पार्टियों के नेता पटना की बैठक में शामिल
जानें कौन पार्टियां बैठक में शामिल होंगी:
JDU, RJD, AAP, DMK, TMC, CPI, CPM, CPI (ML), PDP, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, शिवसेना, सपा, JMM और NCP।
नेता, जो मीटिंग में शामिल होंगे:
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री नेता एम के स्टालिन, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, डी राजा, दीपांकर भट्टाचार्य और महबूबा मुफ्ती।
ये सभी नेता गुरुवार को ही पटना पहुंच गए थे। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, NCP के शरद पवार और जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, सपा के अखिलेश यादव, शिवसेना के उद्धव ठाकरे, JMM के हेमंत सोरेन शुक्रवार को पटना पहुंचे। इनके अलावा, JDU से नीतीश कुमार और RJD से तेजस्वी यादव बैठक में शामिल हैं।
अध्यादेश पर कांग्रेस का नहीं मिला समर्थन
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आप द्वारा अध्यादेश पर कांग्रेस का समर्थन नहीं मिलने पर विपक्ष की बैठक से वॉकआउट की धमकी के बारे में उठे एक सवाल पर, खड़गे ने कहा, मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
जब संसद सत्र शुरू होता है तो कई पार्टियां एजेंडा तय करती हैं कि उन्हें कौन से मुद्दे उठाने हैं और क्या छोड़ने हैं। यहां तक कि उनकी पार्टी के नेता भी संसद में सर्वदलीय बैठक में शामिल होते हैं। मुझे नहीं पता कि वे इसका प्रचार क्यों कर रहे हैं।
संसद में किसका विरोध करना है और किसका समर्थन करना है, इस पर लगभग 18 से 20 पार्टियां निर्णय लेती हैं। और हम संसद सत्र से पहले इस पर (केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आप को समर्थन देने पर) फैसला लेंगे।