One Nation One Election: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इन दिनों देश में वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election) की चर्चा जोरों-शोरों से है केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक को संसद में पेश करने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई गई लेकिन यहां आपको हम बता दें कि,वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक सोमवार को लोकसभा में नहीं पेश किए जाएंगे लोकसभा की संशोधित सूची से इस विधेयक को हटा दिया गया है।
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एक देश एक चुनाव पर देश भर में चर्चा तेज
एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) को देश में लागू करने को लेकर सभी राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय है विपक्ष एक तरफ जहां इस विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर है तो वहीं सत्ता पक्ष और सरकार से जुड़े कई केंद्रीय मंत्रियों का कहना है कि,देश में एकसाथ चुनाव होने से किसी तरह के विकास कार्यों में देरी नहीं होगी साथ ही बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रिया में इसमें आने वाले खर्च में भी कमी आएगी।
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति के आधार पर तैयार हुई रिपोर्ट
आपको बता दें कि,एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) विधेयक को लागू करने के लिए मोदी सरकार की ओर से पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट 14 मार्च को सौंप दी थी।वन नेशन वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि,एक देश एक चुनाव पर केंद्र सरकार को सभी सर्व दलों से सम्मति हासिल करनी होगी उन्होंने कहा यह मुद्दा किसी राजनीतिक दल के हित का नहीं बल्कि देश के हित का है पूर्व राष्ट्रपति ने वन नेशन वन इलेक्शन को एक बड़ा गेम चेंजर बताया है।
लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की जरुरत
वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election) विधेयक को पारित करने के लिए संविधान में संशोधन की जरुरत है पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर इस विधेयक को तैयार किया गया है।रिपोर्ट के आधार पर संविधान में एक नए अनुच्छेद 82(ए) (लोकसभा और सभी विधानसभा के लिए एक साथ चुनाव जोड़ा गया है),अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि),अनुच्छेद 172 (राज्यों के विधानसभाओं की अवधि) और अनुच्छेद 327 (विधानसभाओं के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति में संशोधन किया गया है)।अगर आर्टिकल 82 (ए) को लागू किया गया तो इसके लिए संविधान के आर्टिकल 172 और 327 में भी संशोधन करना पड़ेगा।
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