Ratan Tata: देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) का बीते दिन मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वे काफी गंभीर स्थिति में भर्ती थे. टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा के निधन से न केवल टाटा समूह बल्कि पूरे देश को एक बड़ी क्षति हुई है. टाटा समूह (Tata Group) ने बयान जारी कर कहा, “यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी क्षति है.” 2008 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है.
रतन टाटा का शुरुआती जीवन
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई (Mumbai) में नवल टाटा (Naval Tata) और सूनी टाटा के घर हुआ. वे भारत के प्रतिष्ठित टाटा परिवार का हिस्सा थे. रतन टाटा (Ratan Tata) का पालन-पोषण मुख्य रूप से उनकी दादी लेडी नवाजबाई ने किया. बचपन में ही उनके माता-पिता का तलाक हो गया था, जिसके बाद वे अपनी दादी के साथ रहे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई से प्राप्त की और बाद में अमेरिका जाकर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर की पढ़ाई की.
25 वर्ष की आयु में टाटा समूह के साथ शुरुआत की
रतन टाटा (Ratan Tata) ने अपने करियर की शुरुआत 25 वर्ष की आयु में टाटा समूह के साथ की. भले ही उनके परिवार के सदस्य कंपनी के मालिक थे, लेकिन उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सामान्य कर्मचारी के रूप में की. उन्होंने टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट में चूना पत्थर भट्ठियों में डालने जैसे काम किए. टाटा समूह के साथ अपने लंबे सफर के दौरान रतन टाटा ने कई उतार-चढ़ाव देखे.
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फोर्ड के साथ विवाद और सफलता की कहानी
90 के दशक में टाटा मोटर्स (Tata Motors) के पैसेंजर कार डिविजन की शुरुआत हुई, लेकिन शुरुआती सफलता न मिलने पर टाटा समूह ने इस डिविजन को बेचने का फैसला किया. इसके लिए रतन टाटा (Ratan Tata) ने अमेरिकन कार निर्माता फोर्ड मोटर्स (Ford Motors) के चेयरमैन बिल फोर्ड से मुलाकात की. इस दौरान बिल फोर्ड ने रतन टाटा का मजाक उड़ाते हुए कहा, “तुमने पैंसेजर कार डिविजन शुरू ही क्यों किया? अगर मैं इसे खरीदता हूं, तो यह तुम्हारे लिए एक बड़ा एहसान होगा.” इस अपमानजनक टिप्पणी ने रतन टाटा को आहत किया, लेकिन उन्होंने इसे अपने दिल में दबा लिया और फैसला किया कि वे इस डिविजन को नहीं बेचेंगे. इसके बाद, रतन टाटा ने टाटा मोटर्स के कार डिविजन पर पूरा ध्यान केंद्रित किया और उसे बुलंदियों पर पहुंचा दिया.
फोर्ड से बदला: जैगुआर और लैंड रोवर की खरीद
करीब नौ साल बाद, फोर्ड की स्थिति खराब हो गई और कंपनी घाटे में चलने लगी. तब रतन टाटा (Ratan Tata) ने उसी फोर्ड को उबारने का जिम्मा लिया, जिसने कभी उनका मजाक उड़ाया था. उन्होंने फोर्ड के लोकप्रिय ब्रांड जैगुआर और लैंड रोवर को खरीदने का प्रस्ताव रखा. इस बार रतन टाटा अमेरिका नहीं गए, बल्कि उन्होंने फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड को भारत बुलाया. मुंबई में जब बिल फोर्ड ने यह डील स्वीकार की, तो उन्होंने वही शब्द दोहराए, जो उन्होंने कभी रतन टाटा के अपमान में कहे थे. इस बार बिल फोर्ड ने कहा, “आप जैगुआर और लैंड रोवर को खरीदकर हमपर बड़ा एहसान कर रहे हैं.”