Parliament Session news: संसद के मॉनसून सत्र में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान मोदी सरकार की सहयोगी पार्टी जेडीयू के सांसद को एक सवाल के जवाब में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने हकीकत से रूबरू करा दिया. सांसद महोदय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ा सवाल उठाया, लेकिन जवाब में उन्हें अपनी ही सरकार की स्थिति का सामना करना पड़ा.
Read More: CM योगी की अधिकारियों संग महत्वपूर्ण बैठक एक जिला-एक विश्वविद्यालय का तय किया लक्ष्य
जेडीयू सांसद का सवाल
नालंदा से जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार (Kaushalendra Kumar) ने प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्न पूछा. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को देश में किसानों के लिए लाभदायक योजना माना जाता है. इसमें आकस्मिक फसल के नुकसान की भरपाई भी होती है, लेकिन हमारे राज्य बिहार में बीमा योजना की रकम अन्य राज्यों से तीन गुना ज्यादा है. फसल बीमा योजना का प्रीमियम बिहार में तर्कसंगत बनाया जाए.”
कृषि मंत्री का जवाब
इस पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने सदन में स्पीकर के माध्यम से जवाब दिया। उन्होंने कहा, “पीएम फसल बीमा योजना के अलग-अलग तीन मॉडल हैं. केंद्र सरकार केवल योजना बनाती है, राज्य सरकार जिस मॉडल को चुनना चाहे, उसे चुनती है.” चौहान ने यह भी स्पष्ट किया कि बीमा कंपनियां (चाहे वे निजी हों या सार्वजनिक क्षेत्र की) प्रतिस्पर्धी दरों पर फसल बीमा योजना लागू करने का काम करती हैं.
Read More: INDIA Alliance Protest: स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर GST के खिलाफ विपक्ष का प्रदर्शन
बिहार में योजना की स्थिति
कृषि मंत्री ने सांसद को याद दिलाया कि बिहार ने अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को अपने यहां लागू नहीं किया है. बिहार की अपनी अलग योजना है जो राज्य के किसानों को लाभान्वित करती है. इस प्रकार, सांसद का सवाल उठाना और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रीमियम को तर्कसंगत बनाने की मांग करना, उनकी जानकारी की कमी को दर्शाता है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर उठा सवाल
यह घटना संसद के मॉनसून सत्र में जेडीयू सांसद की जानकारी की कमी और बिहार सरकार की कृषि योजनाओं की स्थिति को उजागर करती है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर उठाए गए सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकारों का अधिकार है कि वे किस मॉडल को अपनाना चाहती हैं. बिहार सरकार ने अपनी योजना को प्राथमिकता दी है और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू नहीं किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकारों की अपनी प्राथमिकताएं और योजनाएं होती हैं.
Read More: Pulse Prices: दाल की कीमतों में नरमी.. आम लोगों के लिए राहत की खबर