प्रदेश सरकार ने नशे के खिलाफ जंग छेड़ने का आगाज कर दिया है। लेकिन जिस बड़ी सामाजिक समस्या से प्रशासन को लड़ाई लड़नी है, उससे कितने लोग प्रभावित हैं और कितनी मौतें हुई हैं, इसका पुख्ता पता नहीं है। सरकार को यह पता नहीं है कि हिमाचल में कितने लोग ड्रग्स का सेवन करते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर सरकार सर्वे करवाने से क्यों परहेज कर रही है। हालांकि गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है। इसमें प्रदेश में नशे की गिरफ्त में आए युवाओं की तादाद काफी ज्यादा बताई जा रही है। कई वर्ष पहले हुए एक गैर सरकारी सर्वे के मुताबिक यहां के करीब 28 फीसद युवा नशे की चपेट में हैं। हैरत की बात है कि इसमें स्कूली बच्चे तक शामिल हैं। मौजूदा समय में तो समस्या ज्यादा गंभीर हो चुकी है। ऐसे में नए सर्वे करवाने की जरूरत महसूस की जा रही है। सरकार के पास केवल तीन साल का ही आंकड़ा उपलब्ध है। इस दौरान तीन लोगों की नशे से मौत होने की बात कही गई है, जबकि 10 मौतें संदेहास्पद हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पिछले दिनों ही नशे के खिलाफ बद्दी से मुहिम छेड़ी थी। अब इसे पूरे राज्य में चलाया जा रहा है। इसके तहत लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
वही आपको बता दें आज अन्तराष्ट्रीय युवा दिवस पर केडी सिंह बाबू स्टेडियम में आयोजित नशामुक्त प्रदेश- सशक्त प्रदेश अभियान का शुभारंभ किया. इस दौरान सीएम ने युवाओं से नशे से बचने की अपील की. सीएम योगी ने कहा कि प्रदेशवासियों को नशा मुक्त बनने का संकल्प लेना चाहिए. नशा जवानी को समाप्त करने का कारण है. जवानी में देश, समाज व अपने सपनों को बुनना चाहिए, नाकि नशे के चक्कर में शरीर को खराब करना चाहिए.
सीएम ने कहा कि नशा करने वाले व्यक्ति का शरीर खराब हो जाता है. वह कोई भी कार्य सही से नहीं कर पाता. इसलिए हमे नशा करने के बजाए अपने शरीर को फिट रखने पर ध्यान देना चाहिए. ताकि हम अपने देश व प्रदेश की प्रगति के बारे में सोच सकें. सीएम ने मंच से केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के भाषण का भी जिक्र किया. सीएम ने कहा कि केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के पुत्र गलत संगति में पड़कर नशे की आदी हो गया. जिसके बाद उसे अपनी जान गंवान पड़ी
नशे पर अंकुश लगाने के लिए अभियान
एसपी दिनेश सिंह ने बताया कि जिले में बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति चिंता का विषय है। इस पर अंकुश लगाने के लिए नया सवेरा अभियान चलाया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत दो चरणों में क्रमबद्ध तरीके से कार्यवाही की जा रही है। प्रथम चरण में अवैध नशा व्यापारियों की धरपकड़ कर उनको जेल भेजा जा रहा है। साथ ही द्वितीय चरण में नशे का शिकार हो चुके ऐसे युवक जो स्वेच्छा से समाज की मुख्य धारा में वापस आना चाहते हैं। ऐसे युवाओं के घरों पर जाकर उनकी काउंसलिग कर परिजनों की सहमति से उचित इलाज कराया जा रहा है।
बच्चो को नशे से दूर रखने के लिए उनके समान चेक करें
हाल ही में जनपद बिजनौर के 3 युवकों को जरुरतों के सामान की किट देकर नशा मुक्ति केन्द्र में भर्ती कराया गया। एसपी ने अभिभावकों से अनुरोध किया की अपने बच्चो को नशे से दूर रखने के लिए समय – समय पर उनके बैग, रुमाल आदि चेक करते रहें। साथ ही स्कूल में आयोजित होने वाली पैरेन्ट-टीचर मीटिंग में अवश्य जाए और अपने बच्चों के विषय में आवश्यक जानकारी प्राप्त करें ।इसी के साथ युवा पीढ़ी को नशामुक्त करने के लिए काउंसलिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
कहा कि नशे का कारोबार करने वाले तथा नशा करने वाले व्यक्ति के संबंध में व्हाट्स एप नंबर 8650601010 फोन अथवा मैसेज करके जानकारी दी जा सकती है। उक्त नंबर पर संपर्क करने वाले व्यक्ति के संबंध में जानकारी गोपनीय रखी जाएगी।
नशे के आदी का इलाज ही समाधान : डॉ. दिनेश
आइजीएमसी के साइकेट्री विभाग के मनारोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश कुमार कहते हैं कि नशे से युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है। इससे बचाव के लिए मल्टी डिसीप्लेनरी एप्रोच की जरूरत है। अगर कोई नशे का आदी हो जाए तो फिर एकमात्र इलाज ही समाधान है। 15 से 25 साल के युवा चिट्टा और हेरोइन जैसे नशे के ज्यादातर शिकार हो रहे हैं। कई बार ओवरडोज से मौत तक हो रही है। चरस और एल्कोहल के आदी बड़ी उम्र के हैं। हालांकि युवा भी चरस पीते हैं। नशे से शरीर पर बुरे प्रभाव पड़ते हैं। जब नशा नहीं मिलता है तो शरीर में अकड़न और दर्द होने लगती है। नाक और आंख से पानी बहने लगता है। मिरगी का दौरा पड़ता है। मेडिकल कॉलेजों में मनोरोग चिकित्सक तैनात हैं। जिला अस्पतालों में प्रशिक्षित काउंसलर और डॉक्टर हैं। इन्हें बेंगलुरु से प्रशिक्षित किया गया है। नशे का सेवन करने वाले युवाओं को अस्पताल पहुंचाएं तो उनका इलाज संभव है।