Dussehra 2024: दशहरा जिसे विजयादशमी (Vijayadashami)के नाम से भी जाना जाता है, सनातन धर्म में एक विशेष पर्व है। इस दिन भगवान श्रीराम की विजय का उत्सव मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन कुछ विशेष कार्यों को करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। आइए जानते हैं कि दशहरा के दिन हमें क्या करना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए।
दशहरा के दिन करे ये कार्य
भगवान श्रीराम की पूजा
दशहरा के दिन भगवान श्रीराम की विशेष पूजा का महत्व है। इस अवसर पर उनकी प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीप जलाकर, फूलों से सजाकर और मंत्रों का जाप करते हुए आरती करें। श्रद्धा पूर्वक की गई पूजा से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
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गरीबों में दान
दान करने की परंपरा इस दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। अपने सामर्थ्य अनुसार गरीबों को वस्त्र, खाद्य सामग्री या धन का दान करें। यह न केवल पुण्य का काम है, बल्कि समाज के प्रति आपकी जिम्मेदारी का भी प्रदर्शन करता है।
भोग का अर्पण
पूजा के दौरान भगवान राम को भोग जरूर लगाएं। यह भोग ताजे फलों, मिठाइयों या अन्य खाद्य पदार्थों का हो सकता है। श्रद्धा से अर्पित किया गया भोग भगवान को प्रसन्न करता है और आपकी इच्छाओं को पूर्ण करता है।
मंत्रों का जप
मंत्रों का जप करने से मानसिक शांति मिलती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन विशेष रूप से राम मंत्रों का जाप करें, जैसे “राम रामयति राम” या “श्रीराम जय राम जय जय राम”।
राम चालीसा का पाठ
राम चालीसा का पाठ करने से भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक बल मिलता है। इस दिन राम चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी होता है और यह भगवान श्रीराम की कृपा को आकर्षित करता है।
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शुभ मुहूर्त में रावण दहन
दशहरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रावण दहन है। इसे शुभ मुहूर्त में करना चाहिए ताकि यह कार्य सफलता और सुख की प्राप्ति का कारण बने। रावण का दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
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घर में साफ-सफाई
दशहरा के दिन घर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। एक साफ और स्वच्छ वातावरण में पूजा करना अधिक फलदायी माना जाता है। घर की सफाई से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वातावरण में शांति बनी रहती है।
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श्री राम जी की आरती (Ram Ji Aarti)
- आरती कीजे श्रीरामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ।।
- धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ।।
- सुभग सिंहासन आप बिराजैं । वाम भाग वैदेही राजैं ।।
- कर जोरे रिपुहन हनुमाना । भरत लखन सेवत बिधि नाना ।।
- शिव अज नारद गुन गन गावैं । निगम नेति कह पार न पावैं ।।
- नाम प्रभाव सकल जग जानैं । शेष महेश गनेस बखानैं
- भगत कामतरु पूरणकामा । दया क्षमा करुना गुन धामा ।।
- सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा । राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ।।
- खेल खेल महु सिंधु बधाये । लोक सकल अनुपम यश छाये ।।
- दुर्गम गढ़ लंका पति मारे । सुर नर मुनि सबके भय टारे ।।
- देवन थापि सुजस विस्तारे । कोटिक दीन मलीन उधारे ।।
- कपि केवट खग निसचर केरे । करि करुना दुःख दोष निवेरे ।।
- देत सदा दासन्ह को माना । जगतपूज भे कपि हनुमाना ।।
- आरत दीन सदा सत्कारे । तिहुपुर होत राम जयकारे ।।
- कौसल्यादि सकल महतारी । दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ।।
- सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई । आरति करत बहुत सुख पाई ।।
- धूप दीप चन्दन नैवेदा । मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ।।
- राम लला की आरती गावै । राम कृपा अभिमत फल पावै ।।