Bollywood: अक्षय कुमार की आने वाली फिल्म ‘ओह माय गॉड 2’ को सेंसर बोर्ड की तरफ से हरी झंडी मिली गई है, आपको बता दे की OMG-2 फिल्म 17 अगस्त को सिनेमाघरों मे रिलीज़ होगी।
अगर हम बात करे OMG फिल्म की तो ये फिल्म अंधविश्वास को दूर करने की कहानी थी। बात करे अक्षय कुमार की फिल्मों की तो उनकी हर फिल्म एक्सन के साथ- साथ इमोशनल और कॉमेडी से भरपुर होती है वही बात करे बॉक्स ऑफिस पर बैक-टू-बैक फ़िल्में फ्लॉप होने के बाद भी उन्होने हिम्मत नही हारी, तो वहीं एक बार फिर अक्षय कुमार भगवान शंकर के किरदार में नजर आएगे।
OMG-2 को लेकर सेंसर बोर्ड ने क्या कहा…
इस फिल्म को लेकर मेकर्स के लिए सबसे बड़ी बात ये है , कि फिल्म में कोई कट नहीं लगाया गया है, पर मेकर्स इस फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट देने की डिमांड कर रहे थे, जिसे नहीं माना गया। वहीं सुत्रो के मुताबिक पता चला है ,की रिवाइजिंग कमेटी का कहना था कि यू/ए सर्टिफिकेट फिल्म को तभी दिया जाएगा जब इसमें कई कट लगाए जाएंगे।
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सेंसर बोर्ड क्या होता है…
सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC)जिसे सेंसर बोर्ड के नाम से जाना जाता है, एक वैधानिक संस्था है, जो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आती है। इसका काम भारत में बनने वाली फिल्मों को रिलीज़ होने से पहले, उसके कंटेंट के हिसाब से सर्टिफिकेट देना है, यह सर्टिफिकेट सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952 के तहत आने वाले प्रावधानों के अनुसार फिल्मों को प्रदान किया जाता है।
सेंसर बोर्ड कैसे देता है फिल्म का सर्टिफिकेट?
फिल्म बन जाने के बाद सेंसर बोर्ड से किसी भी फिल्म को सर्टिफिकेट लेने में कम से कम दो महीने का समय लग जाता है। क्योंकि सबसे पहले सेंसर बोर्ड के ज्यूरी मेंबर उस संबंधित फिल्म को देखते हैं। इस दौरान उस ज्यूरी मेंबर को फिल्म में कोई सीन या संवाद आपत्तिजनक (अश्लीलता, अपराध, हिंसा, अपशब्द और धार्मिक मुद्दों) लगता है तो उसे वह काटने का आदेश देते हैं। अगर निर्माता ऐसे नहीं करते हैं तो उनकी फिल्मों को सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता है। वहीं अगर सेंसर बोर्ड की बात मान ली जाती है तो बोर्ड फिल्मों को चार कैटेगरी में सर्टिफिकेट देता है।