Sitamarhi News : प्रभु रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब बिहार के सीतामढ़ी जिले में माता सीता के लिए एक “भव्य मंदिर” बनाने की योजना की गई है। जहां उनका जन्म स्थान माना जाएगा। बता दें कि हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार प्रभु राम की पत्नी, धर्मपत्नी और पतिव्रता की प्रतिष्ठा के प्रतीक हैं मां सीता। उन्हें मां धरती का अवतार माना जाता है।देवी सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं इसलिए उन्हें ‘जानकी’ भी कहा जाता है।वहीं बिहार के सीतामढ़ी मंदिर बनाने का फैसला किया गाया है।वहीं ये फैसला बिहार कैबिनेट की बैठक में हुई ।दरअसल एक नया मंदिर बनाने के लिए सीतामढ़ी में मौजूदा मंदिर के आसपास 50 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने का फैसला किया गया है।
Read more : सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को थमाया नोटिस
सीतामढ़ी में बनाया जाना चाहिए मां सीता का मंदिर
वहीं इस बात की जानकारी देते हुए बिहार के पूर्व एमएलसी और भाजपा सदस्य कामेश्वर चौपाल ने कहा,- “ माता सीता के लिए सीतामढ़ी वही है जो राम के लिए अयोध्या है, यह हिंदुओं के लिए पवित्र भूमि है, दुनिया भर से लोग अब अयोध्या में राम मंदिर में पूजा करने आएंगे और सीता की जन्मस्थली भी देखना चाहेंगे, हमारा तर्क यह है कि मां सीता के लिए उनके कद के अनुरूप एक भव्य मंदिर, सीतामढ़ी में बनाया जाना चाहिए।”
Read more : अपर्णा यादव की एक तस्वीर से गरमाई सियासत,मैनपुरी से होंगी BJP प्रत्याशी अटकलें हुई तेज
“ट्रस्ट द्वारा जुटाए गए धन से किया जाएगा”
इसी के साथ उन्होंने कहा,- “सीतामढ़ी में एक मंदिर है, जो लगभग 100 साल पहले बनाया गया था, लेकिन यह बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है, हमारा प्रस्ताव एक नया मंदिर बनाने का है, जो अयोध्या में राम मंदिर जितना ही भव्य हो,” कामेश्वर चौपाल अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 50 एकड़ का अधिग्रहण उस 16.63 एकड़ के अतिरिक्त होगा, जिसे बिहार सरकार ने मौजूदा मंदिर परिसर के आसपास के क्षेत्र के पुनर्विकास के लिए पहले अधिग्रहित किया था, मंदिर का निर्माण राम मंदिर की तरह ही एक सार्वजनिक ट्रस्ट द्वारा जुटाए गए धन से किया जाएगा।
Read more : भजनलाल सरकार ने Congress की इस योजना का बदला नाम…
“भविष्य के विकास की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया”
इस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि-” सरकार मंदिर नहीं बना सकती, लेकिन कई ओर से यह मांग उठती रही है कि यहां एक भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए, सरकार इसे संभव बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण कर रही है, जब मंदिर बनेगा, तो क्षेत्र को बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की सेवा करने की आवश्यकता होगी, होटल और सार्वजनिक सुविधाएं जैसी सुविधाएं बनाने की आवश्यकता होगी, भूमि अधिग्रहण का निर्णय क्षेत्र में भविष्य के विकास की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।”
Read more : राज ठाकरे की MNS भी हो सकती है एनडीए का हिस्सा!राज ठाकरे ने की अमित शाह से मुलाकात
“विकास के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध हो”
उन्होनें आगे कहा कि-‘हम राम मंदिर के निर्माण के बाद इस स्थान में अधिक रुचि देख रहे हैं, इसमें तिरूपति जैसी साइट विकसित करने की क्षमता है, और हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उस तरह के विकास के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध हो।’