किसानों की मांगों के लिए चल रहे है इस आंदोलन का सिलसिला अभी भी लगातार जारी है। आंदोलन में शनिवार दोपहर को परी चौक से 60 से अधिक किसान और महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही सभी को बस में भरकर लुक्सर जेल में भेज दिया गया है। इस दौरान किसानों ने सरकार, प्रशासन और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जिसके बाद गिरफ्तार किए गए किसानों का कहना है कि…. शुरुआत में जेल भेजे गए किसानों की रिहाई को लेकर ‘जेल भरो आंदोलन’ जारी रहेगा।
“जेल भरो आंदोलन” का विरोध
किसान और उनके समर्थक सरकार से अपनी मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं, जो कृषि नीति, भूमि अधिकार और किसानों की स्थिति से संबंधित हैं। ऐसी घटनाएँ समय-समय पर देशभर में किसानों के आंदोलनों के दौरान होती रहती हैं, जो समाज में उनके अधिकारों के लिए लड़ाई को दर्शाती हैं।यह घटना दिखाती है कि किसान अपनी मांगों को लेकर निरंतर संघर्ष कर रहे हैं, खासकर 10 फीसदी भूखंड के मुद्दे और अन्य संबंधित मुद्दों पर। “जेल भरो आंदोलन” एक प्रकार का विरोध है, जिसमें आंदोलनकारी जानबूझकर गिरफ्तारी देने के लिए आगे बढ़ते हैं, ताकि सरकार पर दबाव डाला जा सके।
Read More:Delhi में ट्रिपल मर्डर: मां, बाप और बेटी की हत्या,तीनों को धारदार हथियार से काटा
किसानों का उद्देश्य अपनी मांगो को सरकार तक पहुँचाना
शनिवार को जब किसानों ने दिल्ली कूच करने की योजना बनाई, तो पुलिस प्रशासन ने पूरी तैयारी की थी। परी चौक पर भारी संख्या में पुलिस बल, पीएसी (पुलिस आरक्षित बल), और महिला जवानों को तैनात किया गया था, ताकि किसी भी प्रकार के उपद्रव को रोका जा सके। करीब 12 बजे, तुगलपुर गांव से करीब 30 से अधिक किसान और महिलाएं नारेबाजी करते हुए परी चौक पहुंचे, जहां पुलिस ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया और गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किसानों को जेल भेज दिया गया। इस प्रकार के आंदोलनों में किसानों का उद्देश्य अपनी मांगों को सरकार तक पहुँचाना और उसे गंभीरता से लेने के लिए मजबूर करना होता है। यह स्थिति यह भी दर्शाती है कि किसान संगठनों का विरोध तेज होता जा रहा है और वे अपनी मांगों के लिए अधिक निर्णायक कदम उठा रहे हैं।
किसानों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार की नारेबाजी
यह घटना भारतीय किसान आंदोलन का हिस्सा प्रतीत होती है, जिसमें किसान और उनके समर्थक विभिन्न मुद्दों, जैसे 10 फीसदी भूखंड की मांग, को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह आंदोलन किसान आंदोलन के बड़े हिस्से के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें भूमि अधिकारों, कृषि सुधारों और अन्य मुद्दों पर केंद्रित मांगें होती हैं। शनिवार को किसानों और महिलाओं का जत्था दिल्ली कूच करने के लिए परी चौक पर इकट्ठा हुआ था, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और लुकसर जेल भेज दिया। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार नारेबाजी की, जो उनके संघर्ष और एकजुटता को दर्शाता है।
प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की
किसानों और महिलाओं का विरोध प्रदर्शन और आंदोलन बहुत ही दृढ़ और संगठित है, जिसमें वे अपनी मांगों को लेकर किसी भी कीमत पर संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। दादरी के एनटीपीसी के नजदीक के गांवों से 40 से अधिक महिलाएं और किसान, नारेबाजी करते हुए परी चौक पहुंचे, और जैसे ही उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारियों के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई, जो यह दर्शाता है कि आंदोलन के दौरान तनाव और संघर्ष बढ़ता जा रहा है।
Read More:Farmer Protest: Delhi कूच कर रहे किसानों ने तोड़ा बैरिकेड, संसद भवन को घेरने के लिए बढ़ रहे आगे
धरने पर महिलाओं की नारेबाजी
महिलाओं का धरने पर बैठकर नारेबाजी करना और फिर पुलिस द्वारा उन्हें बस से जेल भेजना, यह दर्शाता है कि पुलिस प्रशासन आंदोलन को दबाने के लिए बल प्रयोग कर रहा है। किसानों और उनके समर्थकों का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन की तानाशाही चल रही है, और उनकी आवाज़ को दबाने के लिए उनके नेताओं को जेल में डाला जा रहा है। फिर भी, किसानों का कहना है कि वे अपनी हक की लड़ाई जारी रखेंगे और इस आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे।
यह स्थिति भी किसानों के दृढ़ नायकत्व को दर्शाती है। “जेल भरो आंदोलन” के तहत, किसान अपनी आवाज़ को सरकार तक पहुँचाने के लिए अपने संघर्ष को जारी रखने का इरादा रखते हैं, भले ही उन्हें गिरफ्तार किया जाए या उन्हें संघर्ष के दौरान शारीरिक और मानसिक रूप से दबाव का सामना करना पड़े। यह संघर्ष किसानों के अधिकारों और उनकी ज़मीन की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और वे इसे लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।