Jhansi Medical College: झांसी (Jhansi) के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज (Maharani Laxmi Bai Medical College) में शुक्रवार को भीषण आग लगने के बाद अब तक 12 नवजात शिशुओं की मौत हो गई है अग्निकांड के 48 घंटे बीत जाने के बाद भी अब तक किसी की जवाबदेही नहीं तय हो सकी है यह एक बड़ा सवाल है।अस्पताल में फायर सिस्टम के काम ना करने की वजह से ऐसे 12 बच्चों की मौत हो गई जिन्होंने अभी दुनिया देखने की शुरुआत भी नहीं की थी उन माता-पिता के दर्द को पूरे देश ने महसूस किया जिन्होंने अपने बच्चों को खोया लेकिन हादसा किसकी लापरवाही से हुआ इसकी जिम्मेदारी अब तक तय नहीं हुई है।
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झांसी मेडिकल कॉलेज मामले में अब तक नहीं हुई एफआईआर
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) ने हादसे वाले दिन अस्पताल पहुंचकर मामले की उच्च स्तरीय जांच करने के निर्देश दिए उन्होंने मामले की 3 स्तरीय जांच के आदेश दिए जिसमें से एक जांच पूरी हो चुकी है अन्य जांचे अभी जारी हैं।मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वॉर्ड में आग लगने से 10 बच्चों की मौके पर मौत हो गई थी जबकि एक बच्चे ने रविवार को अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया एक और बच्चे की आज सुबह मौत हो गई जिसके बाद हादसे में मरने वाले बच्चों की यह संख्या 12 हो गई है।
हादसे के पीछे किसकी जवाबदेही? नहीं हुआ तय
हादसे की मंडलायुक्त जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है इसके बाद अब स्वास्थ्य चिकित्सा महानिदेशक (Director General of Health) के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय टीम मामले की जांच करेगी लेकिन घटना में अब तक किसी के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया गया है।मेडिकल कॉलेज के किसी कर्मचारी ,अधिकारी या किसी अन्य की हादसे के पीछे जवाबदेही नहीं तय की गई है जबकि विपक्ष बच्चों की मौत के मामले को बेहद संवेदनशील बताते हुए सरकार पर सवाल उठा रही है और योगी सरकार को मामले पर घेरने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है।
फरवरी में अस्पताल में कराई गई थी फायर ऑडिट
आपको बता दें कि,शुक्रवार को अस्पताल में हुए इस दर्दनाक हादसे के बाद जांच में फायर सिस्टम पुराने और काम ना करने वाले पाए गए हैं डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक(Brajesh Pathak) ने जब अस्पताल का हादसे के बाद निरीक्षण किया तो उन्होंने बताया कि,फरवरी में मेडिकल कॉलेज की फायर ऑडिट हुई थी इसके बाद जून में मॉक ड्रिल भी कराया गया था।हालांकि सूत्रों से पता चला है कि,फरवरी में फायर ऑडिट में कई खामियां अस्पताल प्रशासन को बताई गई थी उसके बावजूद उनमें सुधार की कोशिश नहीं की गई एसएनसीयू वॉर्ड में भी कई खामियां थी जिन्हें दूर करने के लिए शासन को एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था लेकिन अब हादसे के बाद इसकी जिम्मेदारी अब तक किसी पर तय नहीं हो सकी है।