Hindenburg Research: बिजनेसमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) के खिलाफ सनसनीखेज रिपोर्ट लाने वाली हिडेनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने एक बार फिर बड़ा खुलासा किया है। 10 अगस्त को हिडेनबर्ग रिसर्च ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर कहा कि सेबी (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी बुच (Madhabi Buch) और उनके पति की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए दो अस्पष्ट ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी थी।
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सेबी चेयरपर्सन पर सीधा हमला
हिडेनबर्ग रिसर्च ने इस बार सीधे मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) पर हमला बोला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच भी अडानी ग्रुप के साथ मिली हुई हैं। व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के अनुसार, ऐसा प्रतीत होता है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ एकाउंट ओपन किया था।
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धन की घोषणा और संपत्ति का अनुमान
दस्तावेजों में आगे कहा गया कि आईआईएफएल के एक प्रिंसिपल द्वारा हस्ताक्षरित धन की घोषणा में इन्वेस्टमेंट के स्रोत को सैलरी बताया गया और जोड़े की कुल संपत्ति $ 10 मिलियन होने का अनुमान है। इस खुलासे से सेबी की साख पर सवाल उठ रहे हैं और इसके चेयरपर्सन की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह पैदा हो गया है।
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हिंडनबर्ग ने किया था ट्वीट
हिंडनबर्ग रिसर्च ने आज सुबह एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि भारत में जल्द ही कुछ बड़ा होने वाला है। पिछले साल 24 जनवरी को हिडेनबर्ग रिसर्च ने अदानी एंटरप्राइजेज की योजनाबद्ध शेयर बिक्री से ठीक पहले अदानी समूह की तीखी आलोचना करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट के कारण अदानी समूह के शेयरों के बाजार मूल्य में $86 बिलियन की गिरावट आई थी और इसके विदेशी सूचीबद्ध बांडों की भारी बिकवाली शुरू हो गई थी।
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क्या है हिडेनबर्ग रिसर्च?
अमेरिकी निवेश कंपनी हिडेनबर्ग रिसर्च को नाथन एंडर्सन ने बनाया है। फाइनेंसियल टाइम्स के अनुसार, वे येरुशलम से हैं और अमेरिका की कॉनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। कंपनी का नाम हिंडनबर्ग हादसे पर रखा गया है। 1937 के हिंडनबर्ग हादसे में 35 लोगों की मौत हो गई थी। कंपनी मुख्य रूप से शेयर मार्केट एक्टिविटी क्रेडिट पर रिसर्च करती है, जैसे शेयर मार्केट में कहीं गलत तरीके से पैसों की हेरा फेरी तो नहीं हो रही है। इस खुलासे से भारतीय बाजार और सेबी की साख पर गंभीर असर पड़ सकता है। निवेशकों के विश्वास को बहाल करने के लिए सेबी को पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ इस मामले की जांच करनी होगी। इस तरह के आरोप न केवल सेबी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं बल्कि पूरे वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को भी खतरे में डालते हैं।
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अडानी और सेबी: क्या है आगे की राह?
इस नए खुलासे से अडानी ग्रुप और सेबी दोनों पर दबाव बढ़ गया है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह भारतीय वित्तीय बाजार के लिए एक बड़ा झटका होगा। सेबी को इस मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए और निष्पक्षता के साथ कार्रवाई करनी चाहिए ताकि बाजार में विश्वास बना रहे। इस घटनाक्रम ने भारतीय शेयर बाजार और वित्तीय नियामकों के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। अब देखना होगा कि सेबी और अडानी ग्रुप इस संकट से कैसे निपटते हैं और निवेशकों का विश्वास कैसे बहाल करते हैं। हिंडनबर्ग के इस नए खुलासे ने भारतीय बाजार को एक बार फिर से हिला दिया है और आगे की राह चुनौतियों से भरी हुई है।