New Criminal Laws: सोमवार से अंग्रेजों के जमाने की दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) लागू हो गई है। नए कानून (New Criminal Laws) के अनुसार, अभियोजक की ओर से मामला वापस लेने के किसी भी आवेदन को न्यायालय द्वारा स्वीकार किए जाने से पहले पीड़ितों का पक्ष सुनना अनिवार्य कर दिया गया है। पहले लागू सीआरपीसी की धारा 321 के तहत अभियोजक को अदालत की सहमति से मामला वापस लेने की अनुमति थी, लेकिन इसमें पीड़ित का पक्ष सुनने का प्रावधान नहीं था।
सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
बीएनएसएस के तहत धारा 360 को शामिल किया गया है, जिसमें स्पष्ट प्रावधान है कि इस तरह की वापसी की अनुमति देने से पहले पीड़ित की बात सुनी जानी चाहिए। एक अधिकारी ने कहा, “यह फौजदारी मुकदमे में पीड़ित को एक पक्षकार के रूप में मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।” बीएनएसएस में पीड़ितों को फौजदारी प्रक्रिया में सहभागी अधिकार, सूचना का अधिकार और मुआवजे का अधिकार प्रदान किया गया है।
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पीड़ितों के अधिकारों में वृद्धि
बीएनएसएस के तहत पीड़ितों को प्राथमिकी की प्रति प्राप्त करने का अधिकार होगा और पुलिस को 90 दिनों के भीतर जांच में प्रगति के बारे में उन्हें सूचित करना होगा। बीएनएसएस की धारा 230 के तहत पीड़ितों और आरोपियों को पुलिस रिपोर्ट, प्राथमिकी, गवाहों के बयान आदि सहित अपने मामले के विवरण की जानकारी प्राप्त करने का महत्वपूर्ण अधिकार दिया गया है।
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विपक्ष का विरोध जारी
नए कानूनों को लेकर विपक्ष ने विरोध किया है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट करके इन कानूनों को तुरंत रोकने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिए पुलिसिया स्टेट की नींव डाली जा रही है। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी इन कानूनों का विरोध जताते हुए कहा कि 90-99 प्रतिशत तथाकथित नए कानून कट, कॉपी और पेस्ट का काम हैं। उन्होंने कहा कि जो काम मौजूदा कानूनों में कुछ संशोधनों के साथ किया जा सकता था, उसे एक बेकार प्रक्रिया में बदल दिया गया है।
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नए कानूनों में हुए महत्वपूर्ण बदलाव
देश में आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत कई प्रमुख बदलाव किए गए हैं। धारा 124 के तहत अब देशद्रोह से जुड़े मामलों में सजा का प्रावधान किया गया है। धारा 302 और 307 में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं। नए कानून में 20 नए अपराध शामिल किए गए हैं और 33 अपराधों की सजा अवधि में वृद्धि की गई है। साथ ही, 83 अपराधों में जुर्माने की रकम बढ़ाई गई है और 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है। पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) में कुल 511 धाराएं थीं, जिन्हें घटाकर अब 358 कर दिया गया है।