New CJI: भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी के पद के लिए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna ) के नाम की सिफारिश की है। जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद जस्टिस खन्ना देश के 51वें चीफ जस्टिस के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। गौरतलब है कि 12 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने जस्टिस चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उनके उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा करने को कहा था। सीजेआई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को भारत के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया था और अब उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस खन्ना का नाम सुझाया है।
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न्यायिक करियर की शुरुआत
14 मई, 1960 को जन्मे जस्टिस खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 1983 में उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में अपना पंजीकरण कराया। अपने करियर की शुरुआत में ही उन्होंने अपनी कुशलता और प्रतिबद्धता से न्यायिक समुदाय में एक खास पहचान बनाई। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में शामिल होकर अपनी कानूनी यात्रा शुरू की थी। उन्होंने संवैधानिक, वाणिज्यिक और आपराधिक कानून के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई।
जस्टिस खन्ना का कानूनी करियर चुनौतियों से भरा रहा है। जब सुप्रीम कोर्ट में उनकी पदोन्नति हुई, तब 32 अन्य न्यायाधीशों को दरकिनार करने का विवाद उठा था, जिससे कॉलेजियम प्रणाली की पारदर्शिता और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हुए थे। इसके अलावा, अगस्त 2024 में समलैंगिक विवाह मामले की समीक्षा से व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर खुद को अलग करने के फैसले ने भी ध्यान आकर्षित किया। इसके परिणामस्वरूप एक नई पीठ का गठन करना पड़ा, जिससे न्यायिक जिम्मेदारियों और व्यक्तिगत मान्यताओं के बीच संतुलन की चुनौती सामने आई।
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कई महत्वपूर्ण फैसलों में रही भागीदारी
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक फैसलों में भागीदारी की है। इनमें एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारत के चुनाव आयोग मामले में 100% वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका को खारिज करने से लेकर अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले का समर्थन करने तक कई महत्वपूर्ण निर्णय शामिल हैं। जस्टिस खन्ना अब तक 275 से अधिक बेंचों में भाग ले चुके हैं और उन्होंने 65 से अधिक फैसले दिए हैं। उनकी कानूनी दक्षता और दूरदर्शिता ने उन्हें न्यायपालिका में एक मजबूत स्थान दिलाया है।
जस्टिस खन्ना का कार्यकाल
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा, और उन्हें कई अहम मामलों में निर्णय लेने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। न्यायपालिका में उनके नेतृत्व को लेकर उम्मीदें भी अधिक हैं, खासकर कॉलेजियम प्रणाली और समलैंगिक विवाह जैसे संवेदनशील मुद्दों पर उनकी भूमिका पर नजर रहेगी। उन्होंने 2019 में सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा बनने से पहले दिल्ली उच्च न्यायालय में 14 साल तक सेवा की, जहां उन्हें कई जटिल मामलों का निपटारा करने का अनुभव मिला। उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण निर्णय होने की उम्मीद है, जो देश की न्यायिक व्यवस्था को एक नई दिशा प्रदान करेंगे।