NEET PG 2024: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने डॉक्टरों के संगठन छात्रों और हेल्थकेयर सिस्टम के हित की रक्षा के लिए नीट पीजी 2024 की काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू किए जाने के संबंध में सरकार से अंतरिम उपायों पर विचार करने का आग्रह किया।जो नीट पीजी 2024 काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे सके जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि,छात्रों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली दोनों के हितों की रक्षा की जा सके।
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काउंसलिंग प्रक्रिया में देरी को लेकर बढ़ती चिंता
आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर नीट पीजी 2024 काउंसलिंग प्रक्रिया में देरी को लेकर बढ़ती चिंताओं और अनिश्चितता की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया है जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले के कारण रुकी हुई है।डॉक्टरों के निकाय ने कहा,”परामर्श प्रक्रिया में देरी से देश भर में हजारों नीट पीजी उम्मीदवारों को भारी परेशानी हो रही है।
अर्हता प्राप्त करने के लिए अथक परिश्रम किया-आईएमए
आईएमए ने पत्र में कहा कि,उम्मीदवार जिन्होंने स्नातकोत्तर मेडिकल सीटों के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए अथक परिश्रम किया है,न्यायिक कार्यवाही के कारण अपने भविष्य को लेकर लंबे समय से अनिश्चितता का अनुभव कर रहे हैं।
यह स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों के कामकाज को भी प्रभावित कर रहा है क्योंकि अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए स्नातकोत्तर छात्रों को समय पर शामिल करना महत्वपूर्ण है।
कानूनी स्पष्टता की आवश्यकता का पूरा सम्मान करते हैं मगर
“हालांकि हम न्यायिक प्रक्रिया और कानूनी स्पष्टता की आवश्यकता का पूरा सम्मान करते हैं।आईएमए का मानना है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए हस्तक्षेप करना और संभावित समाधान तलाशना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि,छात्रों के शैक्षणिक और व्यावसायिक भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।”
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उम्मीदवारों को अंक देने को लेकर दुविधा
लंबे समय तक देरी से शैक्षणिक कैलेंडर में महत्वपूर्ण व्यवधान हो सकता है जिससे देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों के समग्र प्रशिक्षण और तैनाती पर असर पड़ सकता है।ऐसे समय में जब स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पहले से ही दबाव में है।आईएमए ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इस वर्ष अंकों का खुलासा न होने के कारण कई राज्य परामर्श समितियां भी सेवारत उम्मीदवारों को प्रोत्साहन अंक देने को लेकर दुविधा में हैं।यह फिर से आगे की काउंसलिंग प्रक्रिया में संभावित बाधा उत्पन्न करता है।