Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि 2025 हमारे सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से माँ दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है। यह पर्व 30 मार्च 2025 से प्रारंभ हो रहा है और 6 अप्रैल 2025 तक चलेगा। इस बार नवरात्रि 8 दिन की होगी, क्योंकि द्वितीया और तृतीया तिथि एक ही दिन पड़ रही है। इस दिन की पूजा विधि, भोग, मंत्र और अन्य आवश्यक सामग्री की जानकारी जानकर आप इस पर्व को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से मना सकते हैं।
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चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ और समापन

चैत्र नवरात्रि 2025 का आरंभ 30 मार्च 2025 से हो रहा है। यह प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 04:27 बजे से शुरू हो चुकी थी, और 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे तक समाप्त होगी। नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही कलश स्थापना की जाती है, जो इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
घटस्थापना मुहूर्त

30 मार्च 2025 को कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06:13 बजे से शुरू हो चुका है, जो 10:22 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, दोपहर में 12:01 बजे से 12:50 बजे तक अभिजित मुहूर्त भी है, जो कलश स्थापना के लिए अत्यधिक शुभ है। कलश स्थापना से न केवल शांति और समृद्धि का वास होता है, बल्कि यह नवरात्रि पूजा का आधार भी बनता है।
कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

- मिट्टी का घड़ा और ढक्कन
- कलावा और जटा वाला नारियल
- जल और गंगाजल
- लाल रंग का कपड़ा
- मिट्टी का दीपक
- मौली, अक्षत (चिउड़े), हल्दी आदि
- इन सामग्रियों के माध्यम से आप कलश स्थापित कर सकते हैं, जिससे पूजा की विधि का आरंभ होता है और पूरे नवरात्रि के दौरान ऊर्जा और आशीर्वाद का संचार होता है।
माँ दुर्गा के सोलह श्रृंगार

- लाल चुनरी, बिंदी, काजल, लाल चूड़ियाँ
- सिंदूर, मेहंदी, महावर, शीशा
- बिछिया, इत्र, चोटी, गले के लिए माला या मंगलसूत्र
- पायल, नेल पेंट, लिपस्टिक, रबर बैंड
- नथ, गजरा, मांग टीका, कान की बाली, कंघी आदि
- इन वस्तुओं से माँ दुर्गा को श्रृंगारित कर पूजा की जाती है, जो उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होता है।
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अखंड ज्योति के लिए सामग्री
- अखंड ज्योति जलाने के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है, जिनमें शामिल हैं:
- पीतल या मिट्टी का साफ दीया
- रुई की बत्ती
- रोली या सिंदूर
- चावल
- अखंड ज्योति जलाने से न केवल वातावरण में शांति का अनुभव होता है, बल्कि यह समृद्धि, सुख, और आशीर्वाद का प्रतीक भी माना जाता है।
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नवरात्रि पूजा विधि और भोग

नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा की पूजा विधि में विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह व्रत और पूजा पूरी श्रद्धा और समर्पण से की जाती है। इस समय मां दुर्गा को विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं, जिनमें फल, मिष्ठान, साबूदाना खिचड़ी, कूटू के आटे की पूड़ी आदि प्रमुख हैं। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप, आरती और भजन गाए जाते हैं, जो मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का माध्यम होते हैं।