RLD National Spokesperson: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी के बीजेपी (Bharatiya Janata Party) के साथ आने से उनकी पार्टी में बगावत के सुर तेज हो गए हैं.जिसका नतीजा साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. कई नेता इस फैसले से असहमत हैं और नाराजगी जता रहे हैं. इस बीच, आरएलडी (RLD) के राष्ट्रीय प्रवक्ता भूपेंद्र चौधरी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.जयंत चौधरी का बीजेपी के साथ गठबंधन करना, विशेष रूप से उनकी नई सरकार में मंत्री बनने के बाद, पार्टी के कई नेताओं को स्वीकार्य नहीं हो पाया है.
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भूपेंद्र चौधरी ने पार्टी को कहा अलविदा
बताते चले कि राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) को एक और बड़ा झटका लगा है. केंद्रीय राज्यमंत्री जयंत चौधरी करीबी रहे राष्ट्रीय प्रवक्ता भूपेंद्र चौधरी ने पार्टी को अलविदा कह दिया है. आरएलडी (RLD) छोड़ने का ऐलान भूपेंद्र चौधरी ने सोशल मीडिया के जरिए किया है. उन्होंने लिखा, “इन सालों में राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के नेताओं – कार्यकर्ताओं द्वारा दिए गए स्नेह – सहयोग और सम्मान का मैं आभारी रहूंगा. भारी मन से आज मैं राष्ट्रीय लोकदल की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा देता हूं. जय जवान जय किसान.” यह बयान पार्टी में जारी असंतोष और बगावत की स्पष्ट अभिव्यक्ति है. भूपेंद्र चौधरी का इस्तीफा और उनका बयान यह संकेत देते हैं कि जयंत चौधरी के नेतृत्व में लिए गए निर्णयों से कई नेता असहमत हैं और इस स्थिति को लेकर काफी निराश हैं.
इस्तीफा देने के बाद क्या बोले भूपेंद्र चौधरी?
आपको बता दे कि आरएलडी (Rashtriya Lok Dal) से इस्तीफा देने वाले भूपेंद्र चौधरी का ये भी कहना है कि हमने मुस्लिमों के साथ धोखा किया है. मुस्लिमों की बदौलत ही आरएलडी में जान पड़ी थी. हमारे नौ विधायक बने और मुस्लिमों ने हमें भरपूर सपोर्ट किया, लेकिन बावजूद इसके बीजेपी (Bharatiya Janata Party) से गठबंधन कर लिया गया. ये मुस्लिमों से धोखा नहीं तो क्या है. लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों ने आरएलडी को वोट नहीं किया बल्कि आरएलडी के खिलाफ वोट किया है. ये मुस्लिमों की नाराजगी की ही वजह है कि बीजेपी आरएलडी गठबंधन होने के बावजूद मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर संजीव बालियान जैसे बड़े नेता चुनाव हार गए.
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बीजेपी के साथ गठबंधन जयंत चौधरी को पड़ा महंगा ?
नई सरकार में जयंत चौधरी को शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है, जिससे वह पहली बार केंद्रीय मंत्री बने हैं. हालांकि, उनके बीजेपी के साथ गठबंधन करने के फैसले से आरएलडी (Rashtriya Lok Dal) में असंतोष काफी ज्यादा बढ़ गया है और कई नेता बगावत पर उतर आए हैं. सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में कुछ और नाराज नेता आरएलडी छोड़कर किसी और पार्टी में शामिल हो सकते हैं. इस समय पार्टी आंतरिक कलह से जूझ रही है और इस विभाजन का असर पार्टी की ताकत और एकता पर पड़ सकता है. जयंत चौधरी के निर्णय और उनकी नई भूमिका पर पार्टी के नेताओं की तीखी प्रतिक्रियाएं पार्टी की भविष्य की रणनीति और दिशा पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं.
RLD और BJP का गठबंधन
गौरतलब है कि आरएलडी (Rashtriya Lok Dal) और बीजेपी (Bharatiya Janata Party) के बीच गठबंधन बीते साल हुआ था. पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किए जाने के बाद जयंत चौधरी ने बीजेपी के साथ आने के संकेत दिए थे. इसके कुछ दिन बाद गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया गया था, जिसके तहत आरएलडी को दो सीटें दी गई थी. लोकसभा चुनाव में बीजेपी (Bharatiya Janata Party) की उत्तर प्रदेश में बड़ी हार हुई है, लेकिन इसके बावजूद आरएलडी ने अपनी कोटे की दोनों ही सीटों पर जीत दर्ज की है. यूपी में एनडीए गठबंधन में अब कुल चार दल शामिल हैं: अपना दल, सुभासपा, निषाद पार्टी, और आरएलडी.
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पार्टी के अंदर बगावत का कैसे निकलेगा समाधान ?
जयंत चौधरी की नई भूमिका और RLD की जीत ने गठबंधन को मजबूती दी है, लेकिन पार्टी के भीतर असंतोष और बगावत ने नेतृत्व को चुनौतीपूर्ण स्थिति में डाल दिया है. आने वाले दिनों में इस असंतोष का कैसे समाधान निकलेगा और इसका गठबंधन की स्थिरता पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा.